घण्डल में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की की रखी आधारशिला

  • अन्य हितधारकों को भी शिक्षित करें न्यायिक अकादमियां : सीजेआई
  • मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के लिए धनराशि दिलाने में सीजेआई से हस्तक्षेप का किया आग्रह
अन्य हितधारकों को भी शिक्षित करें न्यायिक अकादमियां : सीजेआई

अन्य हितधारकों को भी शिक्षित करें न्यायिक अकादमियां : सीजेआई

शिमला: भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने आज शिमला के समीप घण्डल में हि.प्र. न्यायिक विधिक अकादमी के छात्रावास खण्ड का लोकार्पण करने के उपरांत अपने संबोधन में कहा कि न्यायिक अकादमियों का उद्देश्य केवल न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना ही नहीं होना चाहिए बल्कि अन्य हितधारकों जैसे विधि विद्यार्थियों व आम लोगों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए जो अर्द्ध-न्यायिक काकार्यों से संलग्न हैं।

उन्होंने न्यायिक अकादमियों के निर्माण पर होने वाले भारी खर्च पर चिंता जताते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि से अकादमियां आने वाले समय में अपने लक्ष्य पर खरी उतर सकें। इसके लिए यह आवश्यक है कि राज्य की अकादमियां राष्ट्रीय विधिक अकादमी के साथ सम्पर्क में रहें ताकि प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को कुशलतापूर्वक तैयार किया जा सके। उन्होंने राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों से आग्रह किया कि इन अकादमियों के प्रत्येक दिन का समुचित उपयोग सुनिश्चित बनाया जाए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विशेष प्रशिक्षण मापदंड तैयार किए जाने चाहिए।यह उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का दायित्व बनता है कि अकादमी का सही उपयोग सुनिश्चित बनायें और वर्ष भर चलने वाले पाठ्यक्रमों को उचित प्रकार से तैयार करें।

न्यायमूर्ति ठाकुर ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि शिमला में राष्ट्रीय विधिक विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए वह मामला प्रधानमंत्री के समक्ष रखेंगे और अगर प्रदेश सरकार को अतिरिक्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता हुई तो वित्त मंत्री के समक्ष भी इस मामले को उठाएंगे।

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने देश के न्यायालयें में लम्बित पड़े मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि यह निरन्तर प्रक्रिया है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे मामलों का सम्बन्ध प्रत्यक्ष तौर पर साक्षरता व समृद्धि से है। जहां लोग शिक्षित हैं, वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं और उच्च साक्षरता दर के कारण अपनी छोटी-मोटी शिकायतों के लिए भी न्यायालयों की शरण लेते हैं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के लम्बित मामलों में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो सराहनीय प्रदर्शन है। लंबित मामलों में इतनी गिरवाट किसी अन्य राज्य के उच्च न्यायालय में उन्होंने नहीं सुनी है। देश के आठ राज्यों- उत्तरप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाड़ू, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक इत्यादि में 80 प्रतिशत का बैकलाग है जिसका दबाव पूरी न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित करता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बैकलाग निपटाने में हिमाचल प्रदेश व केरल राज्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह न्यायालयों में न्यायाधीशों के अधिकांश पद भरे होने के कारण संभव हो सका है। हिमाचल उच्च न्यायालय का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां न्यायाधीशों के 13 पद स्वीकृत है और मात्र दो पद ही रिक्त हैं जिसके कारण त्वरित न्याय प्रणाली सुनिश्चित हुई है। लेकिन जिन उच्च न्यायालयों में जहां न्यायाधीशों के पद भरे नहीं गए हैं, उन्हें भरने की आवश्यकता है क्योंकि लम्बित मामलों का निपटारा न्यायपालिका के लिए राष्ट्रीय चुनौती है।

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि उनकी जानकारी में लाया गया है कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में 33240, अधीनस्थ न्यायालयों में 2,51,325 मामले लम्बित हैं और वर्ष 2013 में कुल 59133 लम्बित मामले थे जो 31 जुलाई, 2016 तक 30509 रह गए जिसके कारण लम्बित मामलों में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

उन्होांने शिमला में न्यायिक अकादमी की स्थापना पर भारी धनराशि खर्च करने के लिए प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस अकादमी से न केवल हिमाचल प्रदेश के विद्यार्थियों को लाभ होगा बल्कि देश के अन्य क्षेत्रों के प्रतिभावान विद्यार्थी भी लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद हिमाचल प्रदेश की शिक्षा दर बेहतर है, जो सराहनीय है। उन्होंने बेहतरीन परिसर निर्माण के लिए इंजीनियरों की प्रशंसा की और इस परियोजना को सहायता प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री का भी आभार व्यक्त किया। न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर ने बाद में घण्डल में ही 137 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित होने वाले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी।

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