वीरभद्र सिंह ने पुलिस विभाग को दिए कुछ विदेशियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश

  • सरकार हिमाचल प्रदेश को पूरी तरह से नशामुक्त राज्य बनाने के लिए प्रयासरत: मुख्यमंत्री 
  • मुख्यमंत्री के मादक द्रव्यों पर रोक के लिए कठोर कदम उठाने के निर्देश

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में नशे की समस्या से निपटने के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नशीली दवाओं के निर्माताओं के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने के साथ-साथ इनके विक्रेताओं व खुलेतौर पर इन्हें बचने वालों के गठजोड़ को समाप्त करने के लिए नियमों व अधिनियमों में कुछ संशोधन करने आवश्यक हैं।

मुख्यमंत्री आज यहां प्रदेश में नशीली दवाओं के नियंत्रण के लिए जारी आदेशों की अनुपालना की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बरसात के मौसम के बाद भांग की खेती को उखाड़ने का सही समय है औरयह सुनिश्चित बनाना जाए कि उखाड़ी गई भांग पूर्ण रूप से नष्ट की जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को नगदी फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण कर भांग की खेती पर नजर रखी जा सकती है।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि सरकार हिमाचल प्रदेश को पूरी तरह से नशामुक्त राज्य बनाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए यह आवश्यक है कि सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों में सभी लोग भूमिका निभाएं ताकि इस बुराई को सदा के लिए समाप्त किया जा सके। उन्होंने नशीली दवाओं के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नशीली दवाओं से संबंधित नियमों व अधिनियमों में संशोधन पर भी बल दिया ताकि दंड के प्रावधानों को और कठोर बनाया जा सके। उन्होंने लोगों व स्वयंसेवी संस्थाओं से मिलकर कार्य करने का आह्वान किया ताकि भविष्य की पीढ़ी को नशाखोरी से बताया जा सके क्योंकि सामूहिक प्रयासों से ही इस बुराई का समूल नाश संभव है। वीरभद्र सिंह ने पुलिस विभाग को कुछ विदेशियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए, जो कुल्लू व अन्य दूर-दराज क्षेत्रों में रह रहे हैं और दोषियों के साथ कड़ाई से निपटा जाए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में और अधिक दवा निरीक्षक तैनात करने पर भी अपनी सहमति दी ताकि नशीली दवाओं में संलिप्त दवा विक्रताओं पर कड़ी नजर रखी जा सके।

उन्होंने कहा कि नशीली दवाओं के सेवन से ग्रस्त लोगों का पुनर्वास महत्वपूर्ण है और गैर सरकारी संस्थाओं को प्रदेश में विशेषकर बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ क्षेत्र में नशामुक्ति केन्द खोलने के लिए आगे आना चाहिए। बैठक में दंडाधिकारियों, न्यायवादियों व पुलिस अधिकारियों की क्षमता निर्माण आकलन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने पर भी चर्चा की गई।

मुख्य सचिव वी.सी. फारका ने भांग को समूल नष्ट करने का सुझाव देते हुए कहा कि इसके स्थान पर अन्य फसलों को उगाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को सेब व अन्य नगदी फसलों को उगाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि युवाओं को नशे के उपयोग से बचाया जा सके।

प्रधान सचिव, स्वास्थ्य प्रबोध सक्सेना ने ड्रग्स एवं काॅसमेटिक अधिनियम की धारा-18 सी के उंलघन को संज्ञेय एवं गैर-जमानती अपराध बनाने का प्रस्ताव किया ताकि दवाओं के दुरपयोग को रोक जा सके। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को कुछ दवाओं को नियंत्रित दवाएं घोषित करने का आग्रह करने के लिए पत्र लिखने का सुझाव दिया ताकि दवा भण्डारों में दवाओं की मात्रा से संबंधित निरीक्षण किया जा सके।

पुलिस महानिदेशक संजय कुमार ने कहा कि मई, 2016 तक अपराध सिद्धि की दर 25 प्रतिशत थी जो जुलाई अन्त तक बढ़कर 33.03 प्रतिशत हुई है और यहएक सकारात्मक संकेत है। बैठक में प्रदेश सरकार के वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी भी उपस्थित थे।

 

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