राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में “रोज़गार सृजन”

  • फ़ीचर
  • गत साढ़े तीन वर्षों के दौरान सरकारी एवं निजी क्षेत्र में 60 हजार से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान
  • अकेले सरकारी क्षेत्र में 27000 से अधिक युवाओं को नौकरियां प्रदान
  • युवाओं को 1000 रुपये मासिक भत्ता जबकि शारीरिक रूप से विकलांगजनों को 1500 रुपये मासिक भत्ता किया जा रहा है प्रदान
  • योजना के अंतर्गत अभी तक 86.64 करोड़ रुपये की राशि खर्च
  • ग्रामीण लोगों की आर्थिकी में और अधिक संबल लाने के लिये मनरेगा के माध्यम से लोगों को उनके घर-द्वार के समीप किया जा रहा है रोज़गार प्रदान
  • योजना पर पिछले साढे़ तीन वर्षों के दौरान 1474.34 करोड़ रुपये व्यय
  • पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण ने 267 नई औद्योगिक इकाईयों को स्वीकृति प्रदान

गत साढ़े तीन वर्षों के दौरान सरकारी एवं निजी क्षेत्र में 60 हजार से अधिक लोगों को रोज़गार प्रदान किया गया है। अकेले सरकारी क्षेत्र में 27000 से अधिक युवाओं को नौकरियां प्रदान की गई हैं। युवाओं की रोज़गार क्षमता बढ़ाने के लिये कौशल विकास भत्ता योजना आरम्भ की गई है, जिसके अंतर्गत कौशल प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को 1000 रुपये मासिक भत्ता जबकि शारीरिक रूप से विकलांगजनों को 1500 रुपये मासिक भत्ता प्रदान किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत अभी तक 86.64 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। प्रदेश सरकार समाज के प्रत्येक वर्ग का कल्याण सुनिश्चित बनाने के पुरज़ोर प्रयास कर रही है। युवाओं के कल्याण के लिये विभिन्न कदम उठाए गए हैं तथा राज्य के बेरोज़गार युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाने पर विशेष बल दिया गया है।

16 से 36 वर्ष तक की आयु का कोई भी हिमाचली जिसकी पारिवारिक आय सालाना दो लाख रुपये से कम हो, इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है। लाभार्थी की शैक्षणिक योग्यता कम से कम 8वीं पास होना अनिवार्य है, लेकिन मिस्त्री, बढ़ई, लोहार अथवा पलम्बर के लिये शैक्षणिक योग्यता की शर्त को समाप्त कर दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस योजना के दायरे में लाकर उन्हें लाभान्वित किया जा सके।

ग्रामीण लोगों की आर्थिकी में और अधिक संबल लाने के लिये मनरेगा के माध्यम से लोगों को उनके घर-द्वार के समीप रोज़गार प्रदान किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 708.63 कार्यदिवस अर्जित किए गए, जिसमें से अकेले महिलाओं ने 438.94 कार्य दिवस अर्जित किए। योजना पर पिछले साढे़ तीन वर्षों के दौरान 1474.34 करोड़ रुपये व्यय किए गए।

राज्य सरकार प्रदेश के आर्थिक ढांचे को और मजबूत करने तथा निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये तीब्र औद्योगिकरण पर बल दे रही है। एक सौ से अधिक हिमाचलियों को रोज़गार प्रदान करने वाली औद्योगिक इकाईयों को विभिन्न प्रोत्साहन दिये जा रहे हैं। पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण ने 267 नई औद्योगिक इकाईयों को स्वीकृति प्रदान की गई जिनमें 26000 से अधिक युवाओं को रोजगार उपलब्ध होगा।

केन्द्रीय रोजगार प्रकोष्ठ राज्य में औद्योगिक इकाईयों को तकनीकी एवं कुशल श्रमशक्ति उपलब्ध करने के करवाने के अतिरिक्त अकुशन श्रमिकों को निजी क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने के प्रयास कर रहा है। श्रम एवं रोजगार विभाग ने राज्य में पिछले साढ़े तीन वर्षो के दौरान 29 रोजगार मेलों का आयोजन कर लगभ 20245 युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाया।

इसके अलावा, विशेषज्ञों की मदद से राज्य के कालेजों एवं स्कूलों में युवाओं को मार्गदर्शन एवं केरियर परामर्श भी प्रदान किया जा रहा है। इस अवधि के दौरान युवाओं को उपयुक्त व्यवसाय चुनने में मदद के लिये इस प्रकार के 585 व्यावसायिक मार्गदर्शन एवं परामर्श शिविरों को आयोजन किया गया है। राज्य के 200 से अधिक वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में 7 प्रकार के व्यावसायिक पाठ्यक्रम आरम्भ किए गए हैं, जिनमें आटोमोबाईल, खुदरा, सुरक्षा, स्वास्थ्य चिकित्सा, कृषि, पर्यटन, आतिथ्य सत्कार तथा सूचना प्रौद्योगिकी से संबद्ध सेवाएं शामिल हैं।

शारीरिक तौर पर विकलांग व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने के लिये श्रम एवं रोजगार निदेशालय में एक विशेष रोजगार प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है। प्रकोष्ठ में ऐसे 6448 उम्मीदवारों को पंजीकृत किया गया है तथा शारीरिक रूप से विकलांग जनों के लिये 593 रिक्तियां अधिसूचित की गई हैं। विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिये प्रकोष्ठ के माध्यम से 171 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया गया है।

 

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