राज्य में वर्षा से 567.32 करोड़ का नुकसान, मुख्यमंत्री के सड़कों की शीघ्र मुरम्मत के निर्देश

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राज्य में अगस्त माह के पहले पखवाड़े में भारी बरसात के कारण हुए नुकसान का आकलन के लिए आज यहां आयोजित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रभावित लोगों को शीघ्र पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाने तथा ग्रामीण सम्पर्क मार्गों एवं पुलों को बहाल करने पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण, दूरदराज तथा दुर्गम क्षेत्रों की सड़कों को खुला रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कुल्लू मार्ग पर हनोगी माता के समीप राष्ट्रीय उच्च मार्ग-21 पर भू-स्खलन के स्थायी समाधान के लिए एक मुश्त राशि जारी करने के निर्देश दिए।

राज्य में भारी वर्षा के कारण कुल नुकसान लगभग 567.32 करोड़ रुपये आंका गया है। सबसे अधिक लगभग 396 करोड़ रुपये का नुकसान सड़कों एवं पुलों के क्षतिग्रस्त होने पर हुआ है और इसके बाद 99 करोड़ रुपये का नुकसान सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य तथा 70 करोड़ रुपये का नुकसान विद्युत विभाग को हुआ है, जबकि 3.17 करोड़ रुपये की क्षति सार्वजनिक एवं सरकारी सम्पत्तियों की हुई है। इसी प्रकार, कृषि तथा बागवानी विभाग को क्रमशः लगभग 4.29 करोड़ तथा 15.86 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है।

बैठक में अवगत करवाया गया कि समस्त सिंचाई एवं पेयजल आपूर्ति योजनाओं को तत्परता के साथ अस्थायी तौर पर बहाल कर दिया गया है तथा इनकी स्थायी मुरम्मत का कार्य जारी है। सामान्य जन जीवन बहाल करने की दिशा में नुकसान से प्रभावित लोगों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए समस्त जिलों तथा संबद्ध विभागों को 106.40 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मानसून पूर्व बैठक में उपायुक्तों को नदियों के किनारे मजदूर कालोनियों एवं अस्थायी बस्तियों को खाली करवाना सुनिश्चित बनाने तथा सड़कों के किनारे पुलियों व नालियों को साफ रखने को कहा गया था। इसी के परिणामस्वरूप जलापूर्ति के लिए पर्याप्त संख्या में पाईप, विद्युुत खम्बों व तारों का काफी पहले से ही भण्डारण कर लिया गया था।

लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव नरेन्द्र चौहान ने अवगत करवाया कि भू-स्खलन के कारण अवरूद्ध सभी सड़कों तथा राज्य एवं राष्ट्रीय उच्च मार्गों को तत्परता के साथ कुछ घण्टों में ही बहाल कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि आपात की स्थिति से निपटने के लिए लोक निर्माण विभाग के सभी चार अंचलों में प्रत्येक में एक बैली पुल की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा, प्रत्येक उपमण्डल को पुनर्बहाली एवं मुरम्मत कार्यों के लिए 15 से 30 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है।

उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान कुल 166 सड़के क्षतिग्रस्त हुईं, जिन्हें पुनर्बहाल किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, तीन पुल बह गए। लगभग 1426 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं, 580 सिंचाई योजनाएं, 30 शहरी जलापूर्ति योजनाएं, 15 बाढ़ नियंत्रण कार्य तथा 16 मल निकासी योजनाएं प्रभावित हुई थी। इन सभी को अस्थायी तौर पर बहाल कर दिया गया है। बरसात के कारण अनेक निर्माण क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें 146 कच्चे एवं पक्के मकान पूर्ण रूप से घ्वस्त हो गए, 547 गौशालाएं, 12 घराट, 20 दुकानें क्षतिग्रस्त हुई और इस प्रकार 8.19 करोड़ रुपये की निजी सम्पति के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।

बैठक में अवगत करवाया गया कि हालांकि राज्य में पर्याप्त वर्षा हुई है, लेकिन यह गत वर्ष 11 प्रतिशत के मुकाबले इस वर्ष 14 प्रतिशत कम है। राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजेन्द्र राणा ने राहत मैनुअल में बदलाव लाने को कहा, क्योंकि कुछ मामलों में नुकसान की भरपाई राशि काफी कम है। उन्होंने ऐसे क्षेत्रों, जहां बरसात से अधिक नुकसान हुआ है, को अधिक धन राशि प्रदान करने को भी कहा।

सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स, मुख्य सचिव वी.सी. फारका, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) तरूण श्रीधर, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग, हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी तथा मौसम विभाग के निदेशक डा. मनमोहन सिंह भी इस अवसर पर अन्यों सहित उपस्थित थे।

 

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