किशोर हमारी आबादी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंगःकौल सिंह

  • राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला आयोजित
  • कार्यशाला में सात राज्यों क्रमशः पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चण्डीगढ़ तथा उत्तराखंड के प्रतिभागी ले रहे हैं भाग
  • प्रदेश में राज्य स्वास्थ्य आयोग की स्थापना
  • हिमाचल के सभी रक्त बैंक ऑनलाइन
  • राज्य के स्वास्थ्य मानक देशभर में अव्वल

शिमला: प्रदेश में राज्य स्वास्थ्य आयोग का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य लोक केन्द्रित एवं सतत् स्वास्थ्य प्रणाली विकसित कर इसमें व्यापक जन स्वास्थ्य कार्यों को सम्मिलित कर राज्य को अगले एक दशक में देश की स्वास्थ्य राजधानी के तौर पर विकसित करना है। इसके अतिरिक्त, डा. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कालेज, टांडा में लोक स्वास्थ्य स्कूल स्थापित किया गया है। यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने आज यहां राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही। कार्यशाला में सात राज्यों क्रमशः पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चण्डीगढ़ तथा उत्तराखंड के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

हि.प्र. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक हंस राज शर्मा ने किया मुख्य अतिथि व अन्यों का स्वागत।

हि.प्र. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक हंस राज शर्मा ने किया मुख्य अतिथि व अन्यों का स्वागत ।

  • हि.प्र. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक हंस राज शर्मा ने मुख्य अतिथि व अन्यों का स्वागत
    स्वास्थ्य निदेशक डा. बलदेव ठाकुर ने किया धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत।

    स्वास्थ्य निदेशक डा. बलदेव ठाकुर ने किया धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत।

    किया।

  • जबकि स्वास्थ्य निदेशक डा. बलदेव ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

ठाकुर कौल सिंह कहा कि प्रदेश सरकार सभी आयु वर्ग के लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताएं पूरा करने के लिए प्रयासरत है, और विशेषकर राज्य की कुल आबादी के 15 लाख किशोरों की स्वास्थ्य जरूरतों पर विशेष बल दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि किशोर हमारी जनसंख्या का महत्वपूर्ण हिसा हैं, जिनकी उर्जा का सकारात्मक कार्यों में व सही दिशा में उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने चिंता जाहिर की कि राज्य में 40 प्रतिशत किशोर किसी न किसी कारण से कुपोषण के शिकार हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रदेश में फरवरी, 2014 को आरम्भ किया गया था, जिसने स्वास्थ्य देखभाल विशेषकर, मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, मादक द्रव्य, लिंग आधारित हिंसा व गैर संचारी बीमारियों के निदान में मील का पत्थर साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम से युवाओं में विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के बारे जागरूकता पैदा हुई है। कार्यक्रम का उद्देश्य देश के युवाओं को उनके स्वास्थ्य एवं उनकी भलाई से जुड़े उत्तरदायी निर्णयों के बारे मे व्यापक जानकारी प्रदान करना है। ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार आरकेएसके कार्यक्रम के सभी घटकों का प्रभावी ढंग से कार्यान्व्यन कर रही है। प्रदेश में 97 प्रतिशत बच्चों को पेट के कीड़े मारने की गोलियां प्रदान की गई हैं, और प्रदेश में युवा परामर्श केन्द्र स्थापित किए गए हैं। सभी स्कूलों में किशोरों को आईएफए गोलियां उपलब्ध करवाई गई हैं तथा 4.74 करोड़ गोलियों का प्रापण व वितरण किया गया है।

ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थतियों के बावजूद लोगों को उनके घरद्धार के समीप बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए विस्तार पर संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए कहा कि प्रदेश में 3716 लोगों पर एक चिकित्सक सेवारत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर

कार्यशाला में सात राज्यों क्रमशः पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चण्डीगढ़ तथा उत्तराखंड के प्रतिभागी ले रहे हैं भाग

कार्यशाला में सात राज्यों क्रमशः पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चण्डीगढ़ तथा उत्तराखंड के प्रतिभागी ले रहे हैं भाग

औसतन 12391 लोगों पर एक चिकित्सक है। इसी प्रकार एक स्टार्फ नर्स प्रदेश में 3460 लोगों को राष्ट्रीय औसत 20701 लोगों के मुकावले में सेवारत है। प्रदेश की शिशु मृत्यु दर देश के 41 के मुकाबले 32 प्रतिशत है और देश के 2.4 के मुकाबले प्रदेश में जन्म दर 1.6 है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी रक्त बैंकों का कम्पयूट्रीकरण किया गया है और सभी प्रकार के ब्लड ग्रुप की उपलब्धता संबंधी जानकारी आॅनलाईन उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में 33 रक्त भण्डारण इकाईयां भी स्थापित की गई हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के दूरदराज व जनजातीय जिले लाहौल-स्पिति के काजा व केलांग में अपोलो हैल्थ केयर के माध्यम से वर्ष 2015 में टेली-मेडिसन परियोजना आरम्भ की थी, जिसके माध्यम से 4365 रोगियों को टेली परामर्श प्रदान किया गया, जिनमें से 288 मरीजों को आपातकाल में यह सेवा प्रदान की गई। इसी प्रकार की अन्य परियोजना 25 जनजातीय स्वास्थ्य केन्द्रों, जिनमें चम्बा, सिरमौर व शिमला जिले शामिल हैं, में ‘पीरामल स्वास्थ्य’ के माध्यम से कार्यन्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला, मण्डी तथा सोलन में पीपीपी आधार पर डायलेसिस केन्द्र कार्य कर रहें हैं, जहां 7000 डायलेसिस किए गए हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सरकार द्वारा प्रदान की जा रही ये सुविधाएं स्वास्थ्य क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगी।

प्रधान सचिव स्वास्थ्य प्रबोध सक्सेना ने कहा कि आरकेएसके कार्यक्रम किशोरों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और शिक्षा तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभागों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पोषक तत्व, यौन एवं प्रजननीय स्वास्थ्य में सुधार, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और युवाओं को हिंसक गतिविधियों तथा नशाखोरी से बचाना है। उन्होंने कहा कि आज राज्य के 40 प्रतिशत किशोर मोबाईल के आदी हो चुके हैं, जिससे उनमें अनेक मानसिक व शारीरिक विकार पैदा हो रहे हैं तथा इस प्रवृति से युवाओं को बचाने की नितांत आवश्यकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उपायुक्त डा. सुषमा दुरेजा ने इस अवसर पर किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम पर विस्तुत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि देश में 50 प्रतिशत मौतें गैर संचारी बीमारियों के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि किशोरों पर कम से कम 2 प्रतिशत स्वास्थ्य बजट खर्च करने की आवश्यकता है।

 

 

 

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