- एचआईवी समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने के संबंध में राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित
- हिमाचल को एचआईवी मुक्त बनाने के ठोस प्रयास : ठाकुर कौल सिंह
- राज्य में एचआईवी/एड्स रोगियों की दर घटकर 0.12 प्रतिशत
- राज्य के पांच केन्द्रों में एचआईवी/एड्स की व्यापक जांच की सुविधा
शिमला: राज्य सरकार हिमाचल को एचआईवी/एड्स मुक्त बनाने की दिशा में ठोस प्रयास कर रही है, जिसके फलस्वरूप राज्य में इन रोगियों की दर घटकर 0.12 प्रतिशत रह गई है जबकि राष्ट्रीय औसत 0.22 प्रतिशत है। यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने आज यहां राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा स्वयं सेवी संस्था ममता के सहयोग से एचआईवी समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने के संबंध में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कही।
इस अवसर पर निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डा. बलदेव कुमार ने स्वागत किया तथा विभागीय गतिविधियों की जानकारी दी, जबकि उपनिदेशक डा. बी.एम. गुप्ता ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
इंदिरा गान्धी आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान के प्राचार्य डा. प्रो. अशोक शर्मा और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण समिति के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डा. राजेश शर्मा ने एचआईवी/एड्स पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि एचआईवी एक भयावह लेकिन निष्पाद्य रोग है। इसके लिये निरंतर दवाई लेने के साथ-साथ संतुलित आहार व व्यायाम आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसे रोगियों को नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
ठाकुर कौल सिंह ने कहा कि राज्य सरकार लोगों को घरद्धार के समीप स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए कृतसंकल्प है और पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान राज्य के दूरवर्ती क्षेत्रों में 135 से अधिक नए स्वास्थ्य संस्थान खोले अथवा स्तरोन्नत करने के साथ-साथ चिकित्सकों के 600 से अधिक पद भरे गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में एचआईवी/एड्स का पहला मामला हमीरपुर जिला में सामने आया था, और उसके उपरांत इन रोगियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती गई, और आज प्रदेश में सक्रिय रूप से 3127 एचआईवी के रोगी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एड्स के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य एड्स नियंत्रण समिति का गठन किया तथा स्वयं सेवी संस्थाओं को इससे जोड़ा ताकि इस भयावह रोग के बारे में समाज में जागरूकता उत्पन्न की जा सके और साथ ही इन रोगियों का उपचार किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य में इस बीमारी से ग्रसित लोगों का निःशुल्क उपचार किया जा रहा है। राज्य के पांच केन्द्रों में एचआईवी/एड्स की व्यापक जांच की सुविधा है जहां रोगियों को मुफ्त एआरटी एवं दवाईयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
ठाकुर ने कहा कि एचआईवी रोग छूत की बीमारी नहीं है और प्रदेश के लोग इन रोगियों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यदा-कदा किसी प्रकार के सामाजिक भेदभाव का शिकायत आती है, तो उसपर तुरन्त कार्रवाई अमल में लाई जाती है। उन्होंने कहा कि राज्य के समस्त शिक्षण संस्थानों को एचआईवी ग्रसित बच्चों को अन्य बच्चों के समकक्ष व्यवहार सुनिश्चित बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं के रक्त की नियमित रूप से जांच की जा रही है तथा राज्य के समस्त 15 रक्त बैंकों को सुरक्षित रखना सुनिश्चित बनाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में रक्त दाताओं की कमी है, और रक्त की काफी अधिक आवश्यकता रहती है। रक्त के माध्यम से एचआईवी/एड्स रोग की जांच भी की जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एचआईवी के मरीजों को राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा का मामला निगम से उठाया जाएगा। इसी प्रकार इन रोगियों को गरीबी रेखा से नीचे का प्रमाण पत्र जारी करने तथा संबद्ध सुविधाएं प्रदान करने के भी प्रयास किए जाएंगे।
मुख्य संसदीय सचिव (स्वास्थ्य) नंद लाल ने कहा कि एचआईवी रोगियों को मुख्यधारा से जोड़ने तथा इन्हें सशक्त बनाने के लिये यह आवश्यक हैं कि ये रोगी इमानदारी के साथ खुलकर अपनी पहचान एवं अनुभव सांझा करें। इससे न केवल समाज में जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि इन रोगियों का जीवन और सरल हो जाएगा।