पशु चिकित्सा संस्थानों में कृत्रिम गर्भधारण सेवाएं प्रदान करने के निर्देश

  • उपलब्धियों एवं कार्यों की आनलाईन रिपोर्टिंग को किया जाएगा अनिवार्य

शिमला: प्रत्येक नियमित पशु चिकित्सा संस्थान के माध्यम से इस वर्ष के अंत तक कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान करना सुनिश्चित बनाने के लिए विभाग को निर्देश दिए। पशुपालन मंत्री अनिल शर्मा ने राज्य में पशु चिकित्सा संस्थानों, विशेषकर पशु पालीक्लीनिक व उपमण्डल स्तरीय अस्पतालों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया है। वह आज यहां पशुपालन विभाग की जिला अधिकारियों की एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक का मुख्य उद्देश्य विभाग की विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा करना राज्य के किसानों को लाभान्वित करने के लिए पशुपालन क्षेत्र के समग्र विकास की रूपरेखा को अंतिम रूप देना था।

पशुपालन मंत्री ने विभाग द्वारा विकसित किए गए साफ्टवेयर के माध्यम से क्षेत्रीय कार्यालयों से विभिन्न गतिविधियों की आनलाईन रिपोर्टिंग के लिए विभाग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस साफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए 275 पशुपालन अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो विभाग में प्रभावी नीति निर्धारण एवं निर्णय सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि उपलब्धियों एवं कार्यों की आनलाईन रिपोर्टिंग को अनिवार्य किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि संक्रमित बीमारियों पर अंकुश लगाने के लिए टीकाकरण तिथि निर्धारित कर एक अभियान के माध्यम से किया जाएगा और यह प्रक्रिया आने वाले वर्षों के दौरान भी जारी रहेगी। इस अभियान में समस्त अधिकारी/कर्मचारी भाग लेंगे ताकि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अधिक से अधिक पशुओं की जांच एवं उपचार किया जा सके।

अनिल शर्मा ने कहा कि सोलन, मण्डी, ताल तथा ज्यूरी में इस वर्ष तरल नाइट्रोजन संयंत्रों को क्रियाशील बनाया जाएगा तथा वित्त वर्ष के दौरान 350 और संस्थानों में कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं आरम्भ की जाएंगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा पालीक्लीनिकों का तकनीकी विस्तार तथा सामाजिक भागीदारी के माध्यम से स्व-संचालित संस्थानों की अवधारणा शीघ्र शुरू की जाएगी। भेड़ों में कृत्रिम गर्भाधान शुरू करने के लिए प्रयोगशाला को शीघ्र क्रियाशील किया जाएगा तथा शीतल कमरों के रूप में कोल्ड चेन सुविधाएं एवं रेफ्रिजिरेटिड वाहन उनका सृजन किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पालमपुर में ईटीटी प्रयोगशाला मार्च, 2017 तक पूरी तरह क्रियाशील बनाई जाएगी तथा पशुओं की अधिक से अधिक एवं प्रभावी कवरेज के लिए निर्धारित टीकाकरण के दिनों में एफएमडी, एचएस, बीक्यू व पीपीआर टीकाकरण कार्यक्रम अभियान के रूप में किया जाएगा।

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