शिमला: नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि तुच्छ राजनीति के चलते कांग्रेस भले ही केन्द्र सरकार पर अनर्गल व भेदभाव के आरोप लगाती रहे पर वास्तविकता में पिछले दो वर्षों में मोदी सरकार ने प्रदेश में अधारभूत ढॉंचे के विकास के लिए अभूतपूर्व कार्य करके आलोचकों को कड़ा जबाव दिया है। मात्र दो दिनों के अन्तराल में मोदी सरकार ने सामरिक महत्व की मण्डी-मनाली-लेह रेलवे लाईन के फाइनल सर्वे व बिलासपुर में हाईड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण को मंजूरी देकर प्रदेश में विकास के नये द्वार खोल दिये हैं, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित मंत्री अरूण जेतली, रक्षा मंत्री मनोहर परिकर व ऊर्जा राज्यमंत्री पियुष गोयल बधाई के पात्र है। प्रदेश की जनता सदैव इसके लिए अभारी रहेगी और प्रदेश के सांसदों को भी उनके लगातार प्रयत्नों के लिए नेता प्रतिपक्ष ने बधाई दी है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सामरिक महत्व की इस रेलवे लाईन के बनने से न केवल देश की सीमाएं और अधिक सुरक्षित होगी बल्कि प्रदेश में आधारभूत ढांचे के विकास, पर्यटन और बागवानी के विकास को अत्यधिक मदद् मिलेगी। लगभग 25 हजार करोड़ रू. के निवेश से बनने वाली इस परियोजना से प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेगें और प्रतिभाओं के पलायन को रोकने में मदद् मिलेगी।
प्रो. धूमल ने कहा कि वर्ष 2009 में प्रदेश के लिए हाईड्रो इजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की मंजूरी मिलने के पश्चात प्रदेश सरकार ने तत्काल लगभग 62 वीघा जमीन बिलासपुर के बंदला में उपलब्ध करवाई थी। परन्तु कांग्रेस की गंदी राजनीति का शिकार इस कॉलेज को बनना पड़ा और किसी न किसी बहाने इस कॉलेज की स्थापना को रोकने की पुरजोर कोशिशें की गई। परन्तु अब केन्द्र सरकार ने इस कॉलेज के निर्माण को मंजूरी देकर प्रदेश की जनता का मान बढ़ाया है। प्रो. धूमल ने आरोप लगाया है कि प्रशासनिक अव्यवस्था और सत्ता धारियों में राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव में सार्वजनिक वितरण प्रणाली पूरी तरह से चरमरा गई है। पिछले लम्बे समय से सरकारी डिपूओं में पूरा राशन नहीं मिल पा रहा है। किसी महीने सरसों तेल नहीं ंतो कभी रिफाईड उपलब्ध नहीं है। राशन के लिए बार-बार डिपुओं के चक्कर काटने से समय और धन की बर्वादी हो रही है। ऊपर से सस्ते राशन से जनता को महरूम करके सरकार ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है।
प्रो. धूमल ने कहा कि तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों में रोजगार देने के मामले में कांग्रेस सरकार की नियत साफ नहीं है यही वजह है कि वह इन श्रेणी के पदों से साक्षात्कार की प्रक्रिया खत्म नहीं कर रही है। समाचार पत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार के बार – बार आग्रह करने के बावजूद सरकार का नाकारात्मक रवैया संदेश उत्पन्न कर रहा है। बैंक भर्ती में धांधली के आरोपों की कोई जॉंच करने के बजाए मात्र एक वर्ष के भीतर सारे रिकार्डों को नष्ट करने की अनुमति सरकार से मांगी गई है। सरकार को किसी भी हालत में यह अनुमति देने के बजाए सारे रिकार्ड को अगले पांच वर्षों तक संभाल कर रखना चाहिए। पूर्व में भी कांग्रेस सरकार के समय बैंक भर्ती के मामले में सभी रिकार्ड को एक वर्ष के भीतर जला दिया गया था जबकि उस समय भी भाई भतीजावाद धांधली और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इस तरह रिकार्ड को नष्ट करना सरकार की नियत पर संदेश उत्पन्न करेगा।