आयकर विभाग

पैन संख्या वाले लेनदेन के संबंध में जानकारी देने के लिए 7 लाख पत्र जारी

नई दिल्ली: वार्षिक सूचना रिटर्न (एआईआर) के तहत, उच्च राशि के विभिन्न प्रकार के लेन-देन होने की जानकारी आयकर विभाग को प्राप्त हुई हैं। इनमें बचत बैंक खाते में 10,00,000 रुपये या अधिक की नकदी राशि जमा करने और 30,00,000 रुपये या अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की खरीददारी/ बिक्री की सूचनाएं शामिल हैं। इनमें से अधिकांश लेनदेनों में पैन संख्या का उल्लेख नहीं है। विभाग के पास वित्त वर्ष 2009-10 से 2016-17 की अवधि को दौरान ऐसी लगभग 90 लाख लेनदेन का ब्यौरा मौजूद है। आयकर विभाग ने इन-हाउस कम्प्यूटर तकनीकियों की सहायता से ऐसे गैर-पैन लेनदेन को वर्गीकृत किया है और लगभग 14 लाख गैर-पैन लेनदेन वाले 7 लाख उच्च जोखिम समूहों की पहचान की है। इनकी आयकर विभाग द्वारा गहराई से छानबीन की जा रही है।

आयकर विभाग ऐसे लेन-देन वाली पार्टियों को पत्र जारी करके उनसे इन लेनदेनों के संबंध में पैन संख्या उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध करेगा। जिन पार्टियों को ऐसे पत्र भेजे जायेंगे उनकी सुविधा के लिए, ई-फाइलिंग पोर्टल पर एक नई कार्यक्षमता विकसित की गयी है। जिसमें वे ऐसे लेन-देन को स्वीकार करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से संरचित जवाब उपलब्ध करा सकते हैं। पार्टियां अपनी ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लॉग-इन कर सकती हैं और उन्हें भेजे गए पत्र में उपलब्ध विशिष्ट लेनदेन संख्या का उल्लेख करके अपने लेनदेन को आसानी से अपने पैन के साथ ऐसे लेनदेन को लिंक कर सकती हैं। वे इस पत्र का इलेक्ट्रॉनिक रूप से भी जवाब दे सकती हैं जिसमें वे स्वयं ऐसे लेनदेन को स्वीकार करने या ऐसे लेनदेन से इंकार करने के विकल्प का चयन कर सकती हैं। ऐसी पार्टियों से ऑनलाइन प्राप्त प्रतिक्रियाओं की विभाग द्वारा जांच की जाएगी। जिन मामलों में कोई उत्तर प्राप्त नहीं होगा उनमें विभाग आवश्यक कार्रवाई शुरू करेगा।

जिन लोगों को ऐसे पत्र मिलें उनसे अनुरोध है कि वे इस मामले में सहयोग करें। वे जहाँ तक संभव हो विभागीय हेल्प लाइन का प्रश्न पूछने के लिए उपयोग करें और आयकर विभाग के अधिकारियों से सीधे संपर्क न करें। जनता को सलाह दी जाती है कि ऐसे मामलों में अपने आप को आयकर विभाग का झूठा प्रतिनिधि बताकर मामले में सहायता का प्रस्ताव करने का दावा करने वाले असामाजिक तत्वों के झांसे में न आएं।

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