- मनरेगा कार्यों में राज्य की उपलब्धियों देशभर में बेहतर
शिमला: पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत गत वर्ष 258.29 लाख कार्यदिवस अर्जित करने के लक्ष्य के विरूद्ध 177.07 लाख कार्यदिवस अर्जित किए गए जोकि 69 प्रतिशत है। यह जानकारी उन्होंने आज यहां शिमला में राज्य रोज़गार गारंटी परिषद की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
शर्मा ने कहा कि इस अवधि के दौरान प्रदेश में 4.67 लाख परिवारों ने रोज़गार की मांग की थी, जिनमें 4.23 लाख परिवारों को रोजगार दिया गया। उन्होंने कहा कि कुल 177.07 लाख अर्जित कार्यदिवसों में 111.81 लाख कार्यदिवस महिलाओं द्वारा अर्जित किए गए हैं जोकि 63.14 प्रतिशत है और देशभर में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष मनरेगा के तहत 116389 कार्य अनुमोदित किए गए थे, जिनमें से 44512 कार्य पूर्ण किए जा चकें हैं जबकि 71877 कार्य प्रगति पर हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत 397.18 करोड़ रुपये की आबंटित राशि के विरूद्व 391.51 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो कुल राशि का 98.57 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि इस राशि में से 287.95 करोड़ मजदूरी पर व्यय किए गए हैं, जो कि कुल व्यय का 77 प्रतिशत है और यह औसत देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है।
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के तहत कुल सक्रिय श्रमिकों की संख्या 911559 है, जिनमें से 876800 को उनके आधार नम्बरों से जोड़ा जा चुका है। मनरेगा के तहत सक्रिय श्रमिकों की प्रतिशतता 96.36 प्रतिशत है, जो कि देशभर में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से श्रमिकों के आधार से जोड़े गए बैंक खातों की संख्या 75 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि आधार नम्बरों सहित बैंक से जोड़ने के लिए विभाग द्वारा शीघ्र ही विशेष अभियान चलाया जाएगा ताकि शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों की प्रदेश के विकास में महत्वूपर्ण भूमिका है तथा वे मनरेगा के अंतर्गत सम्बद्ध विभागों से विचार-विमर्श कर अपने क्षेत्र के विकास की सेल्फें तैयार कर ग्राम सभाओं में अनुमोदित करवाएं ताकि विकास का लाभ धरातल तक पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि मनरेगा का उद्देश्य न केवल मजदूरी रोजगार प्रदान करना है, बल्कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में टिकाऊ परिसम्पत्तियों का निर्माण करना भी है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मनरेगा के कार्यान्वयन से होने वाले लाभ परिलक्षित हो सकें। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मनरेगा के तहत फार्म तालाबों का निर्माण, वर्मी कम्पोस्ट तैयार करना, आंगनवाड़ी केन्द्रों का निर्माण तथा सड़कों के किनारे पौधरोपण के कार्यों पर विशेष बल दिया गया है और इसके लिए जिलावार लक्ष्यों का निर्धारण भी किया गया है। उन्होंने विभिन्न विभागों के सचिवों एवं विभागाध्यक्षों से आग्रह किया कि वे मनरेगा के तहत अभिसरण (कन्वरजेंस) के माध्यम से अधिक से अधिक योजनाएं चिन्हित कर उन्हें कार्यान्वित करें।
पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने मनरेगा में भारत सरकार द्वारा द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को समयबद्ध पूरा करने के विभिन्न विभागों को निर्देश दिए। उन्होंने पंचायती राज प्रतिनिधियों, सरकारी व गैर सरकारी सदस्यों को मनरेगा से जुड़े विभागों में व्यक्तिगत रूप से अपने क्षेत्र के विकासात्मक कार्यों का विचार-विमर्श कर इनके क्रियान्वयन में सहयोग करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे उनके कार्य में कुशलता आएगी और कार्य भी समयबद्ध तरीके से हो पाएगा। बैठक में जंगल की आग को बुझाने व अन्य जो महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं, उन्हें शीघ्र ही भारत सरकार को अनुमोदन के लिये भेजा जाएगा। इस अवसर पर पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ओंकार शर्मा ने कहा कि राज्य रोजगार गारंटी परिषद का उद्देश्य कार्य योजना से सम्बन्धित विषयों एवं इसके कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार को परामर्श देना, प्राथमिकता पर किए जाने वाले कार्यों का निर्धारण, समय-समय पर अनुश्रवण एवं निवारण व्यवस्था की समीक्षा एवं सुधार की सिफारिश करना है। उन्होंने मनरेगा से जुड़ी गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी।