सोलन के साधुपुल में विवेकानंद विद्या निकेतन स्कूल में योग शिविर कार्यक्रम का आयोजन

  • आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने कार्यक्रम में की मुख्यातिथि के रूप में शिरकत
  • स्कूल के प्रधानाचार्य रवि मेहता ने किया मुख्यातिथि का स्वागत
  • स्कूली बच्चों व अभिभावकों सहित करीब 700 लोगों ने लिया योग शिविर में भाग
  • आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने मंत्रोच्चारण द्वारा बताई योग की महत्ता
  • इस मौके पर रक्तदान शिविर का भी किया गया आयोजन
आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने कार्यक्रम में की मुख्यातिथि के रूप में शिरकत

आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने कार्यक्रम में की मुख्यातिथि के रूप में शिरकत

आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने कार्यक्रम में की मुख्यातिथि के रूप में

आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने कार्यक्रम में की मुख्यातिथि के रूप में

शिमला: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज सोलन के साधुपुल में विवेकानंद विद्या निकेतन स्कूल में योग शिविर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने शिरकत की। स्कूल के प्रधानाचार्य रवि मेहता ने मुख्यातिथि का स्वागत किया। योग शिविर में 700 के करीब लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने दीप प्रज्वलित करके किया। स्कूली बच्चों व अभिभावकों के साथ-साथ अन्य लोगों ने भी योग शिविर कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर भाग लिया और योग की महत्ता को जाना। इस मौके पर रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर आचार्य महेन्द्र कृष्ण शर्मा ने मंत्रोच्चारण द्वारा उपस्थित सभी लोगों को योग की महत्ता बताई व सरस्वती साधना तथा मृत्युमंजय साधना के बारे में विस्तार से उपस्थित बच्चों व लोगों को विस्तार से जानकारी दी।

आचार्य ने बताया कि मंत्र वह माध्यम है जिनके द्वारा विभिन्न देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है, उनसे प्रार्थना, याचना की जाती है। जिससे वे जातक के

स्कूली बच्चों व अभिभावकों सहित करीब 700 लोगों ने लिया योग शिविर में भाग

स्कूली बच्चों व अभिभावकों सहित करीब 700 लोगों ने लिया योग शिविर में भाग

शारीरिक, मानसिक, भौतिक एवं आध्यात्मिक विकास में संतुलन स्थापित कर सकें तथा जातक के जीवन को सुखी बना सकें। मंत्र शास्त्र को एक पूर्ण विकसित आध्यात्मिक विज्ञान की संज्ञा दी जा सकती है। मंत्रों का सही चुनाव एवं सही उच्चारण जातक के शारीरिक, मानसिक, भौतिक एवं आध्यात्मिक विकास में संतुलन स्थापित करता है एवं जातक के जीवन में सुख, समृद्धि एवं शांति स्थापित करता है।

आचार्य ने बताया कि यदि मंत्रों को पूर्ण वैदिक रीति से पूर्ण शुद्धता एवं श्रद्धा के साथ उच्चरित किया जाए तो इनसे निकलने वाली तरंगें संबन्धित दैविक शक्ति की तरंगों से संपर्क स्थापित करती हैं। हमारे ऋषियों को इन तरंगों की जानकारी थी तथा उन्होंने इन तरंगों से संपर्क स्थापित करने के लिए ही विभिन्न मंत्रों की खोज की। मंत्रों का सही रूप से उच्चारण मानव शरीर मे सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाता है एवं मानव शरीर से निकलने वाली तरंगें संबन्धित दैवीय तरंगों के संपर्क में आकार मानव मस्तिस्क पर सकारात्मक प्रभाव डालतीं हैं।

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