हिमाचल प्रदेश में कौशल विकास के लिये 640 करोड़ की परियोजना

  • राज्य सरकार द्वारा 15 से 45 वर्ष आयु वर्ग के बेरोज़गार युवाओं को सशक्त बनाने के लिये कौशल विकास नीति ‘हिम कौशल-2016’ को स्वीकृति
  • प्रशिक्षण राजकीय विभागों एवं संस्थानों, निजी क्षेत्र तथा उद्योगों व औद्योगिक संगठनों द्वारा किया जाएगा प्रदान
  • शिल्पकारों, बुनकरों तथा कलाकारों द्वारा पीढ़ियों से चलाए जा रहे स्थानीय कौशल पर दिया जाएगा विशेष बल

प्रदेश सरकार राज्य में कौशल विकास गतिविधियों एवं कौशल अधोसंरचना को विकसित एवं सुदृढ़ करने के प्रयास कर रही है, ताकि उद्योगों की मांग के अनुरूप कुशल श्रम शक्ति उपलब्ध करवाई जा सके। इसके लिये, राज्य में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिये एशियन विकास बैंक बाह्य सहायता की 640 करोड़ रुपये की एक परियोजना स्वीकृत की गई है।

राज्य सरकार द्वारा 15 से 45 वर्ष आयु वर्ग के बेरोज़गार युवाओं को सशक्त बनाने के लिये कौशल विकास नीति ‘हिम कौशल-2016’ को स्वीकृति प्रदान की गई है। यह नीति राज्य की आर्थिक उन्नति को मजबूत करने तथा राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कौशल की कमी को पूरा करने के लिये लक्षित समूहों के कौशल उन्ययन तथा रोज़गार के अवसर बढ़ाने पर बल देती है। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की भी स्थापना की है जो कौशल विकास नीति एवं कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये एक क्रियान्वयन निकाय के रूप में कार्य करेगी। निगम राष्ट्रीय मानकों के समरूप योग्यताओं, मानदण्डों, प्रशिक्षण उपकरणों, राज्य के लिये मान्यताओं की एकरूपता को हासिल करने के प्रयास करेगा।

प्रशिक्षण राजकीय विभागों एवं संस्थानों, निजी क्षेत्र तथा उद्योगों व औद्योगिक संगठनों द्वारा प्रदान किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में चरण बद्ध तरीके से बहुउद्देशीय प्रशिक्षण एवं विपणन केन्द्र विकसित किए जाएंगे तथा इन्हें स्थानीय युवाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित किया जाएगा। ये केन्द्र एक-दूसरे के साथ हब एवं स्पोक मॉडल के तौर पर संचालित होंगे तथा इनकी निगरानी जिला कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से की जाएगी। आईटीआई विद्यार्थियों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से कालेजों में प्रवेश प्राप्त करने के लिये भारत सरकार के एनसीवीटी द्वारा प्रदान किए जा रहे राष्ट्रीय व्यवसाय तथा राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रमाणीकरण प्रमाण पत्र की योग्यता में जमा दो स्तर तक समानता प्रदान की जाएगी।

विद्यार्थियों की रोज़गार क्षमता में सुधार लाने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 से नौवीं से 12वीं कक्षा तक ऑटोमोबाईल, परचून, सुरक्षा, सूचना प्रोद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, र्प्यटन तथा कृषि जैसे टेडस् में व्यावसायिक शिक्षा आरम्भ की गई है। कृषि, बागवानी, पर्यटन एवं आतिथ्य सत्कार, निर्माण, सूचना एवं प्रोद्योगिकी से जुड़ी सेवाओं, बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं में श्रमशक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान दिया जाएगा। हि.प्र. कौशल विकास निगम स्थानीय स्तर पर कौशल अंतर, नई नौकरियों, अवसरों की संभावनाओं, नवीन तकनीकों को शुरू करने के तौर-तरीकों, निजी क्षेत्र के साथ अनुबन्ध, पायलट परियोजना को लागू करना तथा दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचने की कार्यनीति का पता लगाएगा।

  • शिल्पकारों, बुनकरों तथा कलाकारों द्वारा पीढ़ियों से चलाए जा रहे स्थानीय कौशल पर विशेष बल दिया जाएगा। हिमाचली चित्रकला, मैटल क्र्राफ्ट, शॉल, दरियां, लकड़ी नक्काशी कला, कढ़ाई, जूते बनाना, चमड़ा शिल्प, कंबल व कालीन, ऊनी टोपियां, मफलर एवं बुने हुए वस्त्रों के प्रदर्शन, विपणन, सुधार, संचालन तथा वित्त पोषण के लिये मास्टर प्रशिक्षकों का सृजन, उद्यमिता एवं स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाएगा।

मौजूदा सभी रोजगार कार्यालयों को सलाह एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन के लिये मॉडल कैरियर केन्द्रों में स्त्तरोन्नत किया जाएगा। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण एवं पालीटैक्निक संस्थानों में मौजूदा बुनियादी सुविधाओं का पता लगाने का कार्य किया जाएगा। राज्य सरकार मौजूदा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में मांग आधारित एवं रोज़गारोन्मुखी व्यावसायों को आरम्भ करने की योजना तैयार कर रही है, जिससे प्रति वर्ष इन संस्थानों में 2500 विद्यार्थियों का प्रवेश बढे़गा। कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय असहजता के कारण कोई एक भी व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त करने से वंचित न रहे। इन कार्यक्रमों की पहुंच राज्य के सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबी की रेखा से नीचे तथा ऊपर के 16 से 49 वर्ष आयु वर्ग के लोगों के लिये होगी। आजीविका स्तर में सुधार लाने के लिये पांचवीं तथा 8वीं पास शिक्षण योग्यता के लोगों को भी सलाह एवं परामर्श सेवाएं प्रदान की जाएंगी।

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