पश्मीना उत्पादन में गत दो वर्ष के दौरान 9.30 प्रतिशत तक की वृद्धि

नई दिल्ली: केंद्रीय वस्त्र मंत्री संतोष गंगवार ने 17 जून,2016 को लद्दाख क्षेत्र में विषम परिस्थितियो में पश्मीना भेड़ पालन में कार्यरत ऊन उत्पादकों की सुविधा के लिए पांच सौर ऊर्जा चालित समुदाय भवन और सौ सुविधागृह समर्पित किए। संतोष गंगवार ने ऊन उत्पादकों से बातचीत के लिए चंगथंग क्षेत्र में करजोक और समाद में 6 घंटे की सड़क मार्ग से यात्रा भी की। बातचीत के दौरान गंगवार ने घोषणा की केंद्र सरकार अपरिष्कृत पश्मीना के विपणन और पश्मीना उत्पादों को पर्यटन से जोड़ने में हर संभव सहायता प्रदान करेगी। गंगवार ने कहा कि गत दो वर्षो के दौरान औसत पश्मीना उत्पादन में 9.30 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। इस अवधि में मुख्य रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों के दुर्गम इलाकों में पशुओं की मृत्युदर में कमी आई है और योजना के अंतर्गत आवश्यक ग्रामीण आधारभूत ढांचे की स्थापना की गई है। गंगवार ने कहा कि पशुओं के स्वास्थ्य और भार में सुधार के साथ-साथ पश्मीना उत्पादकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखा गया है और पश्मीना ऊन से मिलने वाले लाभ में भी वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि पश्मीना विकास योजना से पश्मीना बकरी पालन में कार्यरत चरवाहों के लाभ में वृद्धि हुई है। इससे योजना लद्दाख क्षेत्र के पशुपालन करने वाले चरवाहों के बीच बहुत लोकप्रिय हुई है।

पृष्ठभूमि : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 अगस्त 2014 को लेह यात्रा के दौरान लद्दाख क्षेत्र में पश्मीना ऊन की गुणवत्ता के साथ-साथ घुमंतू ऊन उत्पादकों की जीवन शैली में सुधार करने के लिए 30 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वित्तीय सहायता के साथ पश्मीना प्रोत्साहन योजना( पी-3) की घोषणा की थी।

इसके अनुरूप वस्त्र मंत्रालय ने पश्मीना प्रोत्साहन योजना( पी-3) विकसित की। केंद्रीय वस्त्र राज्य मंत्री( स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने अक्टूबर,2014 में योजना का शुभारंभ किया। गंगवार ने इस अवसर पर पश्मीना डिहेयरिंग संयंत्र परिसर की आधारशिला भी रखी थी। मंत्रालय विभिन्न कार्यक्रमों जैसे ऊन परीक्षण के लिए सामूहिक पश्मीना केंद्र, रोग निगरानी केंद्र, भौगोलिक सूचना प्रणाली( जीआईएस) प्रयोगशाला,घुमंतू के लिए सुविधागृह,हथकरघा कताई और बुनाई के लिए उठाने योग्य बिजली की मशीन, सौर ऊर्जा युक्त समुदाय भवन, सार्वजनिक चारा प्रागंण, किसानों को पशुधन( बकरे और बकरी) और पश्मीना पशुओं के आवास के लिए शरणस्थल का निर्माण करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।

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