पर्यावरण मंत्रालय हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए करेगा 200 शहरों में शहरी वन निर्मित

  • प्रकाश जावड़ेकर ने लिविंग विद लियोपार्ड पुस्तिका जारी की। इसमें संजय गांधी नेशनल पार्क इलाके में मनुष्य और जानवरों के बीच संघर्ष को खत्म करने के व्यावहारिक तरीकों के बारे में जानकारी मौजूद

नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पर्यावरण दिवस पर हरित इलाका बढ़ाने और वन्यजीवों के संरक्षण जरूरत पर जोर दिया। पर्यावरण दिवस पर संजय गांधी नेशनल पार्क वोरिवली , मुंबई में आयोजित एक समारोह में जावड़ेकर ने कहा कि सरकार शहरों में वन लगाने पर काफी जोर दे रही है। सरकार के इस नए अभियान के तहत देश के 200 शहरों और नगरों में बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान चलाया जाएगा। पर्यावरण मंत्री ने कहा पर्यावरण मंत्रालय पुणे में शहरी वानिकी स्कीम लागू करेगी, जिसके तहत 6000 पौधे लगाए जाएंगे ताकि 80 एकड़ भूमि में शहरी वन तैयार किए जा सकें।

जावड़ेकर ने कहा कि हमारे ज्यादातर शहरों में बाग और पार्क तो हैं लेकिन जंगल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि देश के कई शहरों वन विभाग की जमीन तो है लेकिन इसमें कोई जंगल नहीं है और अगर है भी तो इसके क्षेत्र में कमी आ गई है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों में हम जन भागीदारी के जरिये शहरी वन लगाएंगे। जावड़ेकर ने इस बात पर जोर दिया कि हरित मिशन सिर्फ जन-भागादीरी से ही सफल होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे पेड़ लगाएँ और इसकी सेल्फी खींच कर wedselfie.nic.in पर शेयर करें।

पर्यावरण मंत्री ने इस साल के पर्यावरण दिवस की थीम गो वाइल्ड फॉर लाइफ यानि जिंदगी के लिए जंगलों की ओर चलें, की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि सरकार ने इस साल पिंजौर (हरियाणा) में एशिया के सबसे बड़े गीद्ध पुनपर्रिचय कार्यक्रम को शुरू कर पर्यावरण दिवस मनाया। श्री जावड़ेकर ने कहा कि गीद्ध जो स्वच्छ भारत अभियान के सबसे बड़े स्वयंसेवक हैं, लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके है। 1990 से गिद्धों की संख्या लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा गीद्धों ने जब से डिकलोफिनेक कीटनाशक से युक्त कंकालों को खाना शुरू किया है, उनकी संख्या कम होती जा रही है। देश में पहले 4 करोड़ गीद्ध थे और अब सिर्फ 4 लाख बचे हैं। जावड़ेकर ने वन्य जीव संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि वन्यजीवों का कारोबार पूरी तरह बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सजग कदम उठाए हैं। सरकार की ओर से वन्यजीवों के संरक्षण के लिए असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को शिकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। इससे 24 शिकारियों की मौत हो चुकी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह वन्यजीवों से बने उत्पाद न खरीदें। उन्होंने कहा कि जब इन चीजों का बाजार ही नहीं होगा तो शिकार अपने आप खत्म हो जाएगा। उन्होंने अपने सामने प्रतीकात्मक रूप से जब्त किए गए सामानों को जलवाया ताकि वन्यजीवों की तस्करी रोकी जा सके।

जावड़ेकर ने लोगों के बीच वन्यजीवों के प्रति चेतना के प्रसार और मानव और वन्यजीवों के प्रति बेहतर तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले ज्यादातर जनजातीय लोग प्रकृति के साथ तालमेल बिठा कर रहते हैं।

लिविंग विद लियोपाडर्स

विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रकाश जावड़ेकर ने लिविंग विद लियोपाडर्स नाम से एक पुस्तिका वितरित की। इसमें तेंदुओं से लोगों के खतरे को कम करने की व्यावहारिक सलाह दी गई है। यह पुस्तिका उत्तरी मुंबई में संजय गांधी नेशनल पार्क के आसपास रहने वाले लोगों के लिए काफी मुफदी रहेगी। यहां लोगों के घरों में आए दिन तेंदुओं के घुसने के मामले सामने आते रह हैं।

तेंदुओं के साथ रहते हुए खतरे को कम करने के व्यावहारिक उपाय

  • यह समझें कि तेंदुए इस इलाके स्वाभाविक निवासी हैं, और सिर्फ इनका दिखना खतरा नहीं है
  •  तेंदुए हमारी बनाई हुई बाड़, वन क्षेत्र और कॉलोनियों को नहीं समझते।
  • यह सुनिश्चित करें कि अंधेरा होने के बाद बच्चे बड़ों की निगरानी में रहें।
  • अंधेरा होने के बाद अकेले न निकलें। अगर जरूरी हो मोबाइल हो तो इस पर संगीत बजाएं। तेंदुओं को यह लगना चाहिए कि आसपास लोग हैं। तेंदुएं लोगों को संपर्क में आने से बचते हैं।
  • अगर कोई तेंदुआ दिख जाता है तो उसे चुपचाप वहां से जाने दें।
  • अगर कोई तेंदुआ दिख जाए तो उसके चारों ओर भीड़ न लगाएं। भीड़ लगने से वह डर जाएगा और भागने के क्रम में किसी को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • कूड़ा निपटान की सही व्यवस्था सुनिश्चित करें और कुत्तों को घर के अंदर रखें।
  • तेंदुओं से निपटने का एक मात्र अधिकार वन विभाग को है। किसी भी आपात स्थिति में कंट्रोल रूम को फोन करें।

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