राज्यपाल ने किया टूटीकंडी बाल आश्रम में शिशु गृह का उद्घाटन

  • बच्चों के बेहतर खान-पान के लिए 11000 रुपये देने की घोषणा

 

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मूक बधिर, दृष्टि बाधित और विशेष योग्यता वाले बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के उपरांत पुर्नवासित करने पर बल दिया, जिससे उन्हें आत्म-निर्भर बनाया जा सके और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके।वह आज बाल आश्रम, टूटीकंडी में हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद् द्वारा संचालित शिशु गृह के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। राज्यपाल की धर्मपत्नी दर्शना देवी भी उनके साथ थीं।

राज्यपाल ने इस बात पर संतोष जताया कि प्रदेश में किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत 25 बाल व बालिका गृह चलाये जा रहे हैं, जिनमें लगभग 1100 बाल व बालिकाओं को निःशुल्क आवास एवं भोजन की सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग बाल आश्रम टूटीकंडी में रह रहे बच्चों के रहने, खान-पान और शिक्षा की जिम्मेवारी उठा रहा है और उनके विकास के समुचित अवसर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

उन्होंने परिषद् को किशोर न्याय अधिनियम के अन्तर्गत निर्धारित मापदण्डों का सख्ती से अनुसरण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आश्रम में रह रहे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ-साथ उनके चरित्र निर्माण पर भी बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे राष्ट्र की पूंजी हैं और मानवता के नाते आश्रमों में रह रहे बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह ही प्यार मिलना चाहिए। मानव और पशु में केवल अंतर भी इसी बात का है कि मनुष्य अपने के साथ-साथ दूसरों के दुख-सुख को जानने की योग्यता रखता है।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि दूसरों में अपनापन देखना ही मानवता है और यही हमारी परम्परा व संस्कृति है। नर सेवा की नारायण सेवा है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन का उद्हारण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि अभाव में आगे बढ़ने में शिक्षा ही सहायक होती है और समय की कीमत को समझते हुए अपने में अच्छे गुणों का संचार करें। उन्होंने कहा कि आश्रम के बच्चों का आह्वान किया कि वे समाज के प्रहरी बनें और आशा जताई कि अच्छी शिक्षा प्राप्त कर वे प्रदेश का नाम ऊंचा करेंगे। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों के और बेहतर खान-पान की व्यवस्था के लिए 11000 रुपये देने की घोषणा भी की। राज्यपाल ने आश्रम के बच्चों को ‘शब्दकोष’ भेंट किए और राज्यपाल की धर्मपत्नी ने इस अवसर पर आश्रम के बच्चों को मिठाइयां भी बांटी। राज्यपाल ने बाल आश्रम के परिसर का निरीक्षण भी किया और बच्चों से बातचीत की तथा बच्चों के साथ दोपहर का भोजन भी किया।

इससे पूर्व, आश्रम के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। इससे पूर्व, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कर्नन (डॉ) धनीराम शांडिल ने राज्यपाल को सम्मानित किया तथा कहा कि उनके मार्गदर्शन में विशेष तौर पर महिला एव बाल कल्याण विभाग तथा बाल कल्याण परिषद् जनकल्याण के लिए प्रयासरत है।

हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद् की सचिव राजकुमारी सोनी ने राज्यपाल का स्वागत किया। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक जे.आर. कटवाल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। हिमाचल प्रदेश बाल कल्याण परिषद् की आजीवन सदस्य डॉ. अपर्णा नेगी, परिषद् के गैर सरकारी सदस्य, विभाग के अन्य अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

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