- ‘पहल’ की शुरूआत के लिए उपायुक्त की सराहना
- प्राथमिक शिक्षा क्षेत्र में कमियों को जानने में होगा मददगार
शिमला: लोगों के जीवन को परोक्ष रूप से प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान कर इन पर कार्य करने के लिए शिमला जिला प्रशासन ने एक अनूठी कार्यक्रम ‘पहल’ की शुरूआत की है। पहल एक दूरदर्शिता दस्तावेज है, जिसके अन्तर्गत प्राथमिक शिक्षा (प्रेरणा), लोगों को वनों के अधिकार, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, नशा निवारण अभियान, आजीविका और महिला सशक्तिकरण के बारे जागरूक करना है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज यहां ‘पहल’ का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ‘प्रेरणा’ पहल का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो परिणाम में सुधार करने, संसाधन विकसित करने तथा प्राथमिक पाठशालाओं में अध्ययन स्तर में सुधार तथा आंकलन में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि प्रारम्भिक शिक्षा उच्च स्तर के अध्ययन का आधार हैं तथा कार्यक्रम की कमियों का पता लगाने तथा शिक्षा को मनोरंजक बनाने के लिए शिक्षकों को इस ओर ध्यान देने के प्रति उत्तरदायी बनाने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई है कि प्राथमिक शिक्षा को सुदृढ़ करने के लिए समूचे शिमला जिले में 100 प्राथमिक पाठशालाओं में प्रेरणा की शुरूआत के लिए चिन्हित किया है। उन्होंने कहा कि इन कमियों का पता लगाकर विद्यार्थी के प्रदर्शन स्तर का स्वतंत्रतापूर्वक आंकलन किया जा सकता है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि जहां तक स्वास्थ्य क्षेत्र का संबंध है, हमें सुनिश्चित बनाना है कि हमारे आस-पास का वातावरण गंदगी मुक्त हो तथा स्वस्थ रहने के लिए हमें लोगों को सफाई एवं स्वच्छता की आदतों के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सामुदायिक भागीदारी से सम्पूर्ण स्वच्छता तथा जिले में ‘पहल’ के अन्तर्गत जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘पहल’ अभियान दो महत्वपूर्ण पहलुओं पर केन्द्रीत है और जहां तक लोगों को वन अधिकारों में शिक्षित करने की बात है, उन्होंने जिला प्रशासन को जिले में पारम्परिक वन तैयार करने वालों के सामुदायिक अधिकारों से जुड़े सभी मामलों का निपटारा करने को कहा। उपायुक्त शिमला रोहन ठाकुर ने कहा कि ‘पहल’ जिले के समग्र विकास के लिए विभिन्न हितधारकों को संघटित करने का एक प्रयास है, जिसमें संबंधित विभागों, पंचायतों, महिला तथा युवक मण्डलों को शामिल किया गया है ताकि इसे एक जन आन्दोलन बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि जहां तक स्वच्छता का संबंध है, जिले के तीन विकास खण्डों रामपुर, ननखड़ी तथा नारकण्डा में शत-प्रतिशत निजी घरों में शौचालय सुविधा है। उन्होंने कहा कि जिले में निजी घरों में शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने के लिए 6000 और शौचालयों की आवश्यकता है।
रोहन ठाकुर ने कहा कि लोगों को वन अधिकारों के बारे शिक्षित करना तथा उन्हें इन अधिकारों का लाभ पहुचाना भी ‘पहल’ के कार्य क्षेत्र में शामिल है। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने के लिए जिले में व्यापक स्तर पर सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईइसी) अभियान चलाया गया है। इसके अतिरिक्त, आजीविका मिशन के अन्तर्गत लोगों को आवश्यक कौशल प्रदान कर सशक्त बनाना भी ‘पहल’ के अन्तर्गत आरम्भ किया जाएगा, जिसमें मिस़्त्री का कार्य, बिजली का कार्य, घरेलू उपकरणों व पलम्बर इत्यादि के पाठ्यक्रम शामिल किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि ‘पहल’ का उद्देश्य अर्ध-कुशल एवं कुशल महिलाओं, जिन्हें मुख्य सरकारी कार्यक्रमों से जोड़ा जा सकता है, के लिए संसाधन आधार का निर्माण करना भी है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ‘पहल’ में सम्मिलित किए गए नशा निवारण अभियान के अन्तर्गत युवाओं को नशीले पदार्थों से दूर रखने के लिए खेलों तथा मनोरंजक गतिविधियों के लिए अधोसंरचना में वृद्धि करने के भी प्रयास कर रहा है।