- भारत सरकार के आदेशों पर राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी इंडिया कर रही है जांच
- अमेरिका/ यूरोप में छप चुकी अजय शर्मा की शोध
शिमला : सहायक निदेशक (शिक्षा) अजय शर्मा की 34 वर्ष की मेहनत अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। अजय शर्मा को सफलता पर 100 प्रतिशत विश्वास है कि आधारभूत नियमों में भारत बनेगा विश्वगुरु। अजय शर्मा ने अमेरिका यूरोप से प्रकाशित शोध पत्रों में 2266 वर्ष पुराने आर्किमिडीज के सिद्धांत, 331 वर्ष पुराने न्यूटन के नियमों और आइंस्टीन के पदार्थ-ऊर्जा समीकरण का संशोधन किया है। अजय शर्मा की दो पुस्तकें ‘बियोंड न्यूटन एंड आर्किमिडीज’ और ‘बियोंड आइंस्टीन एंड e=mcw’इंग्लैंड के कैंब्रिज से प्रकाशित हो चुकी हैं।
नैशनल अकादमी ऑफ साइंसेज इंडिया का कहना है कि अजय शर्मा के दावे विज्ञान की दिशा बदलने वाले हैं। इसलिए इन दावों की गंभीरता से जांच कराई जा रही है। इसके लिए भौतिकी के बड़े वैज्ञानिकों से मदद ली जा रही है। अजय शर्मा यहां सहायक निदेशक शिक्षा के पद पर तैनात हैं। जानकारी के मुताबिक भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने उनके शोध कार्य को नैशनल अकादमी ऑफ साइंसेज इंडिया इलाहाबाद को भेज दिया है। अब देश के सर्वोच्च वैज्ञानिक जांच करेंगे कि अजय शर्मा के इन दावों में कितना दम है।
वैज्ञानिक अजय शर्मा के दावे
अजय शर्मा का कहना है कि मुझे विदेशों में लगभग 95 बार इंटरनेशनल कान्फरैंसों में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है। मैंने अमेरिका, इग्लैंड, जर्मनी, रूस जैसे देशों की कान्फरैंसो में अपने रिसर्च पेपर्स प्रस्तुत किये हैं। मेरे लैक्चर वीडियो रिकॉर्ड हुए हैं और वैज्ञानिकों ने कान्फरैंस प्रोसीडिग्ज में छापे है। यह भी अपने आप में मान्यता है।
बताया जा रहा है कि ये पुस्तकें शर्मा के शोधपत्रों पर आधारित हैं। अजय के न्यूटन आइंस्टीन और आर्किमिडीज पर शोध को नैशनल अकादमी ऑफ साइंसेज इंडिया इलाहाबाद में जांचा जा रहा है। नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज इंडिया के कार्यकारी सचिव ने इस बात की पुष्टि की है। भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार अकादमी के मेंबर और फैलो अजय के शोध की जांच कर रहे हैं। अजय शर्मा जून 2015 में साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से मिले थे और उन्होंने पुस्तकों के मूल्यांकन की प्रार्थना भी की थी।
टीचिंग कैरियर
1985 में अजय शर्मा ने अपना टीचिंग कैरियर डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से लेक्चरर फिज़िक्स के रूप से किया था। शर्मा 34 वर्षों से विकट हालातों में न्यूटन, आइंस्टीन और आर्किमिडीज पर शोध कर रहे हैं। इस पर वे अपने पिता, पत्नी और अपनी जेब से लाखों रुपया खर्च कर चूके हैं। यह सारा कार्य देवभूमि हिमाचल में ही सम्पन्न हुआ है। 1987 से अजय शर्मा हिमाचल के शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। इस काम में अजय शर्मा को सरकार से पूरा सहयोग मिला है।
सरकार से गुहार
अजय शर्मा ने सरकार से गुहार लगाई है कि मेरे शोधकार्य पर खुले और वीडियो रिकार्डेड सेमिनार करवाए जाए। मैं वैज्ञानिकों के प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप से सेमिनार में ही दूंगा। हर प्रश्न का उत्तर मेरे शोधपत्रों और पुस्तकों में है। फिर डिस्कशन को इंटरनेशनल लेवेल पर कमेन्ट्स के लिए यू ट्युबस पर डाला जाएगा। सही और गलत का फैसला वहीं हो जाएगा।
‘न्यूटन ने नहीं दिया था गति का दूसरा नियम’
2265 वर्ष पुराने आर्किमिडीज सिद्धांत भी अधूरा
न्यूटन ने प्रिंसिपिया के पृष्ठ 19-20 में अलग नियम दिया है। जिस नियम को हम न्यूटन की गति के दूसरे नियम (F=ma) के नाम से पढ़ाते हैं, वह स्विटरजरलैंड के वैज्ञानिक लियोन हार्ड यूलर ने दिया था। यूलर ने यह नियम न्यूटन की मृत्यु के 48 वर्ष बाद 1775 में दिया था। यूलर के शोधपत्र को मैथेमैटिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका की वेबसाइट www.eulerarchive. maa. Org पर देखा जा सकता है। Paper E479 pp. 223 में F=ma साफ दिया गया है।
न्यूटन की गति का तीसरा नियम आधा अधूरा
तीसरे नियम की परिभाषा : ‘क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।’
महत्वपूर्ण खामीः न्यूटन की पुस्तक ‘प्रिंसीपिया’(1687) के पृष्ठ न. 19-20 में, तीसरे नियम के अनुसार वस्तु की ‘प्रकृति और संरचना पूरी तरह महत्वहीन और निरर्थक है।‘