- वर्ष 2015-16 में 830 मैगावाट जल विद्युत दोहन
- तीन वर्षों के दौरान प्रदेश में 4200 ट्रांसफार्मर स्थापित
फ़ीचर
हिमाचल प्रदेश के समस्त गांवों के विद्युतिकरण के लक्ष्य को हासिल करने के उपरान्त अब राज्य सरकार जल विद्युत क्षमता के दोहन तथा उपभोक्ताओं को बिजली संचरण एवं वितरण पर विशेष ध्यान दे रही है। सत्ता संभालते ही वर्तमान सरकार ने विद्युत क्षेत्र को नई दिशा प्रदान करने का निर्णय लिया। इस क्षेत्र में आशातीत नतीजे सामने आए हैं।
जहां तक जल विद्युत ऊर्जा का सम्बन्ध है, राज्य सरकार अकेले सार्वजनिक क्षेत्र में 265 मैगावाट बिजली का दोहन करने के प्रयास कर रही है। अब तक, राज्य में 10,264 मैगावाट जल विद्युत का दोहन हो पाया है, जिसमें से 830 मैगावाट बिजली का दोहन वर्ष 2015-16 के दौरान किया गया है। समय पर स्वीकृतियों के अभाव में जल विद्युत ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में अनावश्यक देरी को रोकने के उद्देश्य से जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित करने के लिये समयबद्ध स्वीकृतियां अथवा अनापत्ति प्रमाण प्रदान करने के लिये हि.प्र. लोक सेवा गारन्टी अधिनियम के अन्तर्गत समय सीमा निर्धारित की गई है। राज्य क्षेत्र के अन्तर्गत इस वित्त वर्ष के दौरान 65 मैगावाट की काशंग परियोजना, 100 मैगावाट की सैंज तथा 100 मैगावाट ऊहल जल विद्युत परियोजनाएं आरंभ हो जाएंगी। घानवी चरण-दो परियोजना के पूर्ण होने पर अतिरिक्त 10 मैगावाट बिजली का उत्पादन शुरू होगा।
ऊर्जा संरक्षण की दिशा में प्रभावी कदम उठाते हुए राज्य में एलईडी प्रोत्साहन कार्यक्रम आरम्भ किया गया है, जिसके अन्तर्गत घरेलू उपभोक्ताओं को बाजार दरों से कम कीमत पर एलईडी बल्ब उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड ने ये एलईडी बल्ब भारत सरकार के उपक्रम ‘ऊर्जा बचत सेवा सीमित’ के माध्यम से प्राप्त किये हैं। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य के 22 लाख उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाया गया है जिससे ऊर्जा संरक्षण में मदद मिली है और साथ ही उपभोक्ताओं को लम्बे समय तक चलने वाले बिजली के बल्ब भी उपलब्ध हुए हैं।
राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा को विकसित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिये एक संशोधित सौर ऊर्जा नीति तैयार की है। नीति के अन्तर्गत ग्रिड रुफ टॉप सौर परियोजना प्रस्तावित की गई है। राजीव गान्धी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना के अंतर्गत चम्बा जिले के पांगी खण्ड को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में 33 के.वी. एच.टी. लाईन का कार्य पूरा कर लिया गया हैं। राज्य के 14 शहरों में कार्यान्वित किये जा रहे पुनरगठित त्वरित ऊर्जा विकास एवं सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत मण्डी, चम्बा, कुल्लू तथा ऊना शहरों में कार्य पूरा किया जा चुका है, जबकि शेष शहरों में यह कार्य इस वर्ष दिसम्बर माह तक पूरा कर लिया जाएगा।
केन्द्र सरकार की सहायता से राज्य में ‘दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ भी आरम्भ की गई है। 159 करोड़ रुपये की इस योजना का उद्देश्य राज्य में बिजली वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करना है। कांगड़ा जिले के फतेहपुर, कुल्लू जिले के रायसन तथा मण्डी के थलौट में तीन नये विद्युत मण्डल तथा ऊना जिले के खाड, कांगड़ा जिले के मेक्लोड़गंज-टाण्डा में तीन विद्युत उपमण्डल खोले गए हैं।
प्रदेश सरकार के समक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड सीमित का वित्तीय घाटा एक बड़ी चुनौती है। पिछले तीन वर्षों के दौरान बेहतर प्रबन्धन, वित्तीय पुनरगठन तथा संसाधनों के समुचित उपयोग से इस घाटे से उभरने के प्रयास किये गए हैं। बोर्ड के वित्तीय पहलुओं में सुधार लाने की पहल करते हुए राज्य सरकार ने बोर्ड की 564 करोड़ रुपये की ऋण देनदारियों को अपनाया है और सरकार वर्ष 2016-17 के दौरान 56 करोड़ रुपये के ऋण भी चुकता करेगी। इसके अतिरिक्त, सरकार हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड को नये खम्बे व ट्रांसफार्मर स्थापित करके ग्रामीण विद्युत लाईनों के सुधार के लिये 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगी।
पिछले तीन वर्षों के दौरान हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड ने विकसित वितरण प्रणाली पर 600 करोड़ रुपये का निवेश किया है तथा इस अवधि के दौरान राज्य के विभिन्न भागों में 4200 ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए। इसके अतिरिक्त, 33 किलोवाट के लगभग 23 विद्युत उप-केन्द्र, 132 किलोवाट के दो सब-स्टेशन, 220 किलोवाट का एक तथा 66 किलोवाट के तीन विद्युत उप केन्द्र क्रियाशील बनाए गए हैं।