1185 करोड़ रुपये की बागवानी विकास परियोजना शीघ्र होगी शुरू : मुख्यमंत्री

  • किसानों व बागवानों से गुणात्मक उत्पादों के लिए नई तकनीक अपनाने का आहवान
  • गैर पंजीकृत व्यापारियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश
  • एपीएमसी किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में निभा रही महत्वपूर्ण भूमिका : विक्रमादित्य
  • आढ़तियों तथा किसानों को किया बेहतर कार्य के लिए सम्मानित
  • व्यापारियों को उत्पादकों के लाभ के लिए “कम मुनाफा व तत्काल आय” के तरीके पर करना चाहिए कार्य

शिमला : मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि 1185 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना को विश्व बैंक द्वारा मंजूरी प्रदान की गई है और इस योजना को शीघ्र ही प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। इस योजना से किसानों व बागवानों को कृषि बागवानी तकनीक सीखने के पर्याप्त अवसर प्राप्त होंगे और वे सेब के अलावा अन्य फलों की विभिन्न किस्मों का उत्पादन भी कर सकेंगे। मुख्यमंत्री सोमवार सांय कृषि उत्पाद विपणन समिति द्वारा यहां ढली में आयोजित एक कार्यक्रम के अवसर पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के आग्रह पर विश्व बैंक ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है और यह परियोजना लगभग इसी वर्ष आरम्भ कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कृषि, बागवानी व पुष्प उत्पादन ग्रामीण लोगों का मुख्य व्यवसाय है और यह परियोजना प्रदेश के किसानों व बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगी। इस परियोजना में बागवानों की सुविधा के लिए प्रशिक्षण अवधारणा को शामिल करने के साथ.साथ उन्हें नवीनतम तकनीक से परिचित कराने के लिए भ्रमण पर भी भेजा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि फलों व सब्जियों के विपणन में आढ़तियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसके अलावा वे किसानों से उत्पाद के क्रय व विक्रय में भी अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि खेती-बाड़ी के तरीकों में बदलाव आया है और लोग गैर-मौसमी सब्जियों को उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैंए जिससे ग्रामीण आर्थिकी भी सुदृढ़ हुई है।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में अनेक विपणन मण्डियों का निर्माण कार्य प्रगति पर है और प्रदेश सरकार वर्तमान विपणन मण्डियों के आधुनीकीकरण के लिए वचनबद्ध है और किसानों की जरूरतों के अनुसार जहां आवश्यक हुआए वहां नई मण्डियां खोलने की भी योजना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गत वर्षों में कृषि क्षेत्र में अनेक वैज्ञानिक तकनीकें विकसित हुई हैं और प्रदेश के किसान इन नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर अपने उत्पादों की गुणवत्ता व मात्रा को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अलग.अलग तापमान व भौगोलिक परिस्थितियों के तहत फलों व सब्जियां उगाने के लिए मिट्टी व जलवायु का आकलन करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सहायता लेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में विपणन की महत्वपूर्ण भूमिका है।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि आज 80 प्रतिशत व्यापार ऑनलाईन हो रहा है, जिससे न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि यह किसानों व बागवानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए आपार अवसर भी प्रदान कर रहा है, जिससे उन्हें अपने उत्पादों की अच्छी कीमत प्राप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को उत्पादकों के लाभ के लिए “कम मुनाफा व तत्काल आय” के तरीके पर कार्य करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अनेक विपणन मण्डियां निर्मित की गई हैं। उन्होंने विपणन यार्डों को उचित रूप से पंजीकृत तथा मान्यता दी जानी चाहिए। विपणन बोर्डों व विपणन समितियों को ऐसे आढ़तियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिएए जो किसानों को लोक लुभावनी कीमतों का लालच देकर ठगने का प्रयास करते हैं और जब पर्याप्त मात्रा में लाभ कमा लेते हैं, उसके बाद अपना कारोबार बन्द कर देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियों का विपणन समितियों को निरन्तर अनुश्रवण करने की आवश्यकता है। वीरभद्र सिंह ने इस अवसर पर किसानों व बागवानों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए आढ़तियों को सम्मानित किया।

एपीएमसी किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में निभा रही महत्वपूर्ण भूमिका : विक्रमादित्य

युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि एपीएमसी किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने एपीएमसी शिमला व किन्नौर की गत तीन वर्षों में अपनी आय वृद्धि के लिए सराहना की। उन्होंने कहा कि एपीएमसी को आढ़तियों के अलावा प्रगतिशील किसानों व बागवानों को सम्मानित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का नियमित रूप से आयोजन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों व बागवानों का प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में बराबर का योगदान है।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर जैविक फलों व सब्जियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने की और अधिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भू-अधिग्रहण बिल यूपीए सरकार की सोच थी, जिसमें एनडीए सरकार ने किसानों के हितों की अनदेखी कर मनमाने ढंग से बदलाव किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए इस बिल के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आन्दोलन कियाए जिसके परिणामस्वरूप एनडीए सरकार को इस बिल को वापिस लेना पड़ा।

कृषि उत्पाद विपणन बोर्ड के अध्यक्ष सुभाष मंगलेट ने इस अवसर पर कहा कि विश्व बैंक ने प्रदेश के 54 फल एवं सब्जी मण्डी यार्डों का स्तरोन्नयन व आधुनीकीकरण करने के लिए 150 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान ही प्रदेश में भारी संख्या में सब्जी विपणन यार्ड खोलने के अतिरिक्त उन्हें विपणन सुविधाएं स्तरोन्नत की गई हैं। निकट भविष्य में किसानों को निर्धारित कीमत पर ऑनलाईन विपणन सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी, जिससे किसान व आढ़ती दोनों लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि सोलन सब्जी एवं फल मण्डी देश की पहली पायलट सब्जी मण्डी बन गई है, जो राष्ट्रीय कृषि मण्डी के वैबपोर्टल से कृषि व बागवानी उत्पादों के खुर्दरा विपणन के लिए जुड़ गई है।

एपीएमसी के शिमला व किन्नौर के अध्यक्ष महेन्द्र सतान ने कहा कि गत तीन वर्षों के दौरान एपीएमसी शिमला व किन्नौर की आय 7.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 22 करोड़ रुपये हो गई है। निकट भविष्य में चैपालए रामपुरए ठियोग और टूटू में नए विपणन यार्ड खोले जाएंगे। उन्होंने मुख्यमंत्री का शिमला व सोलन फल व सब्जी मण्डी को ऑनलाईन जोड़ने के लिए आभार व्यक्त किया।

मुख्य संसदीय सचिव नन्द लाल, विधायक अनिरूद्ध सिंह, जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष केहर सिंह खाची, हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष हर्ष महाजन, शिमला जिला परिषद की अध्यक्षा धर्मिला हरनोट, राज्य महिला कल्याण आयोग की अध्यक्षा जैनब चन्देल, राज्य बाल कल्याण परिषद की अध्यक्षा राज कुमारी सोनीए बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा श्रीमती किरण धान्टा हिण्प्रण् पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष हरिश जनारथा, हिमुड़ा के उपाध्यक्ष यशवन्त छाजटा, प्रधान सचिव बागवानी जगदीश चन्द्र शर्मा, राज्य कृषि बोर्ड के प्रबन्ध निदेशक एच.एस. बवेजा, उपायुक्त शिमला रोहन ठाकुर सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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