शिमला: लोकसभा सांसद और भाजयुमो अध्यक्ष, अनुराग सिंह ठाकुर ने दिल्ली विश्वविद्लाय की पाठ्य पुस्तकों में शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद तथा देश की आजादी की लड़ाई में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के व्यक्तित्व व कार्यों को आंतकवादी के तौर पर पेश किये जाने को लेकर यूपीए सरकार पर निशाना साधा। पाठ्य पुस्तकों में इन महान क्रांतिकारियों की छवि को धूमिल किये जाने की निंदा करते हुए सिंह ने कहा, यह किस तरह का इतिहास किताबों में पढ़ाया जा रहा है, जिसमें एक शहीद को आतंकवादी के तौर पर पेश किया जा रहा है? काग्रेंस सरकार आतंकवाद पर अपनी स्वयं की परिभाषा बना रही है। उन्हें देश की जनता को बताना होगा की आखिर क्यूँ यह गांधी परिवार भगतसिंह व अन्य क्रांतिकारियों की शहादत को मजाक बना कर देश के इतिहास से मिटाने को आतुर है?
”इण्डियाज स्ट्रगल फॉर इन्डिपेण्डेन्स्” शीर्षक से प्रकाशित एक पुस्तक में गुलाम भारत के दौर में शहीद भगत सिंह व अन्य स्वतन्त्रता सेनानियों की आजादी की राह में किये गये कार्यों को आतंकवादी घटना करार दिया गया है। गौरतलब़ है कि पुस्तक के प्रकाशन में शामिल सभी पांच सहभागी काग्रेंस पार्टी से संबधित है तथा वामपंथी विचारधारा की ओर झुकाव रखते हैं। तथा इनमें से चार रचनाकार जेएनयू में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है, जहां पिछले दिनों देश विरोधी गतिविधियों के चलते अध्यापक व शिक्षकगण समूचे विश्व की खब़रों में कुख्यात हुए थे। पिछली संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान इस पुस्तक के लेखकों को विभिन्न सरकारी संगठनों में निदेशक व अध्यक्षों के पद पर भी बैठाया गया था।
अनुराग सिंह ठाकुर ने पाठ्य पुस्तकों में काग्रेंस की राजनीति बताते हुए कहा कि, जो भी सीबीएसई पुस्तकें संप्रग सरकार के शासन में प्रकाशित हुई है उनमें राहुल गांधी को ’करिश्माई’ नेता करार दिया गया है। सदन में 44 सदस्यों का नेता करिश्माई कैसे हो सकता है, तथा उन्होनें देश या समाज के हित में ऐसा कौन सा कार्य किया है जिससे तो उन्हें इस उपाधि से नवाज़ा जाए? काग्रेंस राहुल गांधी को करिश्माई कह सकती है परंतु अपने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे पर झूल जाने वाले भगत सिंह को आतंकवादी का नाम दे रही है। एक तरह अफजल गुरु और इशरत जहान जैसे अपराधियों को काग्रेंस अबोध व बेगुनाह कहती है परंतु, शहीद भगत सिंह को आतंकवादी कहने वाली काग्रेंस को अपनी इस सोच पर शर्म आनी चाहिए। अनुराग सिंह ठाकुर की ओर से उठाए गए इस मुद्दे पर सदन के सदस्यों का भरपूर सर्मथन मिलने पर लोक सभा की कार्यवाही को पंद्रह मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।