मुख्यमंत्री ने वैब आधारित 20 नागरिक केंद्रित सेवाओं का किया शुभारम्भ

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज यहां वैब आधारित 20 नागरिक केंद्रित सेवाओं का शुभारम्भ किया। इन ई-जि़ला सेवाओं में दुकानों और वाणिज्यिक संस्थानों का पंजीकरण व नवीकरण, अनुबंध आधार पर श्रमिकों को रखने वाले प्रतिष्ठानों का पंजीकरण, अनुबंध श्रमिकों के लाईसेंस के लिए आवेदन पत्र, राजस्व न्यायालय मामलों के प्रबंधन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, 14 प्रकार के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए भी ई-सेवाओं का शुभारम्भ किया गया जिनमें कानूनी उत्तराधिकारी, पिछड़ा क्षेत्र, अल्पसंख्यक समुदाय कृषक, डोगरा वर्ग, चरित्र, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, हिमाचली प्रमाण पत्र, आय, अन्य पिछड़ा वर्ग, स्वतंत्रता सेनानी, निवास और निर्धन (जरूरतमंद व्यक्ति) शामिल हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आईसीटी को व्यापक रूप से सुदृढ़ कर प्रदेश के लोगों के जीवन में गुणात्मक बदलाव लाने वाला हिमाचल प्रदेश अग्रणी राज्य है। लोगों को घर-द्वार तक बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए राज्य ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए इन पर आने वाली लागत में भी काफी कटौती की है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षो से लगातार विभिन्न पुरस्कार जीते हैं जिनमें 10 राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार शामिल हैं। वीरभद्र सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर स्थापित 2000 लोक मित्र केन्द्रों के माध्यम से नागरिकों को एक ही छत के नीचे 53 प्रकार की विभिन्न सरकारी सेवाएं मिल रहीं हैं जिनमें विभिन्न प्रकार के प्रमाण-प्रत्र व दस्तावेज भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि आवेदन करने के स्तर पर विभिन्न विभागों के इलेक्ट्रानिक डेटाबेस का एकीकरण करना प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जिसकी मिसाल देश में और कहीं नहीं है। अधिकांश मामलों में नागरिकों को अब विभिन्न प्रमाण-पत्र लेने के लिए कार्यालयों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी और ऑन-लाइन ही इन्हें प्राप्त कर सकेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं की सीमित पहंुच होने के बावजूद लोक मित्र केंद्र लोगों को इलेक्ट्रोनिक तरीके से सरकारी कर्मचारियों को सम्पर्क करने का जरिया प्रदान कर रहे हैं। कई वर्षों पूर्व से लोगों को जमाबंदी प्रदान की जा रही है और अब वे ततीमा भी ऑन-लाइन ले सकेंगे। फिलहाल चार जि़लों में इस सुविधा को आरंभ किया जा चुका है और शेष सभी जि़लों में इस वित्त वर्ष के अंत तक यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-जि़ला पार्टल पर 31 सेवाएं प्रदान करने के बाद हिमाचल प्रदेश इस मामले में देश के पांच शीर्ष राज्यों शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि ई-गवर्नेस आज समय की मांग है और उन्होंने सभी सरकारी विभागों को आह्वान किया कि अपने डाटाबेस को अंकरूपण व प्रमाणित करने के लिए निरंतर प्रयास करें ताकि दस्तावेज और प्रमाण-पत्र इसी डेटाबेस से तैयार हों और दो प्रकार के रिकार्ड रखने की ज़रूरत नहीं रहे। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रदेश को गौरवान्ति बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी, एनआईसी सहित अन्य सभी संबंधित विभागों के प्रयासों की सराहना की।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री विद्या स्टोक्स ने इस मौके पर कहा कि हिमाचल सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है और राज्य ने आधुनिक तकनीकें अपनाने को हमेशा प्राथमिकता दी है ताकि नागरिकों को बेहतरीन सेवाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। उन्होंने कहा कि एमकिसान पार्टल पर हिमाचल के किसानों के पंजीकरण की प्रतिशतता सर्वाधिक है जिसके जरिये किसानों से संबंधित उपयोगी जानकारी उनके मोबाइल फोन पर प्रदान की जाती है। हिमाचल प्रदेश पहला राज्य था जिसने नागरिक सेवाओं के लिए सभी विभागों में एम-गवर्नेंस सेवा आरंभ की तथा राज्य निर्वाचन आयोग व भारत के निर्वाचन आयोग की मतदाता सूचियों का एकीकरण किया। उन्होंने आईटी व्यावसायियों से लोगों की सुविधा के लिए और मोबाइल एप्लीकेशन विकसित करने का आह्वान किया।

सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव गुप्ता ने विभाग की और से की जा रही विभिन्न प्रकार की पहल और ई-गवर्नंस के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश की उपलब्धियों पर प्रस्तुतीकरण दिया। मुख्य सचिव पी.मित्रा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, विभागाध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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