कृषि मंत्री का राज्यों से आग्रह, कृषि व किसानों के हितों में केन्द्र के प्रयासों में निभाएं अपनी भागीदारी
विषम स्थितियों में भी देश के किसानों ने कठोर परिश्रम से पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन किया है : सिंह
प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को हुए नुकसान के बावजूद दूसरे अग्रिम अनुमानों (15.02.2016) के अनुसार कुल खाद्यन्न उत्पादन जो 2014-15 के दौरान 252.02 मिलियन टन था, वह 2015-16 के दौरान बढ़कर 253.16 मिलियन टन हो गया।
पूर्वी राज्यों में बीज की उपलब्धता बढ़ाने हेतु राष्ट्रीय बीज निगम ने बंगाल, झारखण्ड एवं बिहार से उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए जमींन की मांग की है। बंगाल, झारखण्ड ने जमींन दे दी है, विश्वास है बिहार भी जमींन उपलब्ध कराएगा : सिंह
केंद्रीय कृषि अभीयांत्रिकी संस्थान, भोपाल की तरह स्थापित करने हेतु महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार से ज़मीन की मांग की गई, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश ने ज़मीन दे दी है तथा विश्वास है कि बिहार भी विचार करेगा : सिंह
नई दिल्ली : केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहाँ कहा कि सरकार किसानों के कर्ज की समस्या को दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को संस्थागत फोल्ड में लाने के लिए सरकार ने कृषि के ऋण लक्ष्य को वर्ष 2016 -17 के लिए 9 लाख करोड़ रूपए बढ़ा दिया है। पिछले वर्ष यह 8.5 लाख करोड़ रुपये था। इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की समस्याओं को दूर करने और उनके हितों की रक्षा के लिए सरकार दीर्घ अवधि के उपाय कर रही है।
कृषि मंत्री ने ये बात नयी दिल्ली के आईसीएआर संस्थान, पूसा में आयोजित दो दिन के खरीफ सम्मेलन में कही। कृषि मंत्री ने बताया कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस अभियान में भागीदारी करने के लिए कृषि और इसके समवर्गी क्षेत्रों के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है।
उन्होंने कहा कि हाल में देश के कई हिस्सों में आयी बेमौसम की बरसात, ओलावृष्टि और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को हुए नुकसान के बावजूद दूसरे अग्रिम अनुमानों (15.02.2016) के अनुसार कुल खाद्यन्न उत्पादन जो 2014-15 के दौरान 252.02 मिलियन टन था वह 2015-16 के दौरान बढ़कर 253.16 मिलियन टन हो गया। उन्होंने कहा कि विषम स्थितियों में भी देश के किसानों ने कठोर परिश्रम से पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन करना सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि बजट 2016-17 में सरकार ने अगले पांच वषों में किसानों की आय को दोगुना करने की बात कही है। इसे पूरा करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने सात सूत्री कार्यक्रम दिये है।
ये सात सूत्र निम्नलिखित है:
उत्पादन में वृद्धि : सरकार ने सिंचाई क्षेत्र में बजटीय प्रावाधानों में भारी वृद्धि की है। सरकार का लक्ष्य है पानी की हर बूंद से सर्वाधिक पैदावार। सरकार की नीति जल संरक्षण और सिंचाई पर केन्द्रित है। सरकार धान, तिलहन सहित अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से कार्रवाई कर रही है।
कम लागत से अधिक आय : बीजों से सर्वश्रेष्ठ उत्पादकता तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब उन्हें जमीन से सही एवं पर्याप्त पोषकता (Nutrient) मिले। सॉइल हेल्थ कार्ड (Soil Health Card) योजना के माध्यम से हम हर खेत की, हर जमीन की सही पोषक (Nutrition) जरुरतों के बारे में सही जानकारी लेकर किसानों को दिया जा रहा है। इससे उत्पादन की लागत में कमी एवं किसानों की आय में वृद्धि होगी। खेती की लागत को विनियमित करना और उच्च फसल उत्पादकता को बनाए रखना जरूरी है। इसलिए मृदा स्वास्थ्य सरंक्षण के लिए मृदा स्वास्थ्य संवर्द्धन कार्यक्रम शुरू किया गया है।
सरकार ने पिछले वर्ष देश में केवल नीम कोटिड यूरिया का उत्पादन का निर्णय लिया जिससे पौधों को आसानी से पोषक तत्व उपलब्ध होंगे। किसानों को जैविक किसान बनाने करने के लिए तीन वर्षों के दौरान 20,000 रूपए प्रति एकड़ की राशि प्रदान की जा रही है।
किसानों का विपणन खर्च कम कर मुनाफे में वृद्धि करना : एक राष्ट्रीय कृषि बाजार की स्थापना किया जा रहा है पूर्णत: Electronic Trading Market है। भारत की विभिन्न 585 कृषि मंडियों को एक साथ जोड़ने की इस पहल की वजह से फसल के विक्रय का एक बड़ा हिस्सा किसानों तक पहुंचेगा एवं बिचौलियों की भूमिका कम से कम हो जाएगी। साथ ही कृषि विपणन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) शुरु किया जा रहा है।
कृषि जोखिम सुरक्षा : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को एक छोटी एवं वहन करने योग्य बीमा लागत उनके नियंत्रण से परे प्राकृतिक आपदाओं, जैसे आंधी, तूफान, समुद्री तूफान, भूकंप, चक्रवात आदि के हालात में किसानों की आय सुनिश्चित करेगी।
उपज के बाद के संभावित नुकसान को कम करना : बागवानी क्षेत्र के चौमुखी विकास को बढ़ावा देने के भारत सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन चला कर प्रत्येक राज्य अथवा क्षेत्र की जलवायु विविधता के अनुरूप क्षेत्र आधारित कार्य नीति को बढ़ावा दिया है।, जिसमें मुख्यत: नई तकनीक को बढ़ावा देना, बागवानी फसलों के अंतर्गत क्षेत्र विस्तार, फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन इत्यादि आते हैं। भारतवर्ष बागवानी फसलों के अधिक उत्पादन में विश्व में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
अधिक मूल्यवर्धन (Value Addition) : सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Processed Food Industry) को प्रोत्साहन दे रही हैं, जिससे कृषि उपजों में मूल्य संवर्धन (Value Addition) कर पाएं। यही नहीं इसके अतिरिक्त फल एवं सब्जियों के प्रसंस्करण के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की मदद से लगभग 10 प्रतिशत के वर्तमान स्तर से सन् 2025 तक 25 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए भी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रयास जारी है।
सहायक क्रिया कलाप : प्रधानमंत्री जी की निर्दैशानुसार इस कार्य को अंशत: पशुपालन, डेयरी, कुक्कुटपालन, मधुमक्खी पालन, कृषि तालाबों और मत्स्य पालन के द्वारा अंजाम किया जाएगा। साथ ही किसानों के खेतों को अधिकतम प्रयोग जैसे मेड़ पर पेड़ लगाकर एवं सोलर पैनल (Solar Panel) को प्रोत्साहित कर उनकी आय बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पूर्वी राज्यों में बीज की उपलब्धता बढ़ाने हेतु राष्ट्रीय बीज निगम ने बंगाल, झारखण्ड एवं बिहार से उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए जमींन की मांग की है। बंगाल, झारखण्ड ने जमींन दे दी है, विश्वास है बिहार भी जमींन उपलब्ध कराएगा ।केंद्रीय कृषि अभीयांत्रिकी संस्थान, भोपाल की तरह स्थापित करने हेतु महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार से ज़मीन की मांग की गई, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश ने ज़मीन दे दी है तथा विश्वास है कि बिहार भी विचार करेगा ।
आखिर में कृषि मंत्री ने राज्यों से आग्रह किया वे कृषि और किसानों के हितों में केन्द्र के प्रयासों में अपनी भागेदारी निभाएं।