कांगड़ा में चाय बागानों के विस्तार, सुधार एवं पुनर्जीवन की आवश्यकता : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री का चाय की खेती के विस्तार की आवश्यकता पर बल

कागड़ा चाय को प्रोत्साहित करने के लिए लगेंगे राष्ट्रीय सेमिनार

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य में उद्यमियों को चाय की पैदावार के लिए गैर परम्परागत क्षेत्रों का पता लगाने के बजाय कांगड़ा में चाय की खेती वाले क्षेत्रों एवं मौजूदा चाय बागानों के विस्तार, सुधार एवं पुनर्जीवन की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री आज यहां राज्य चाय विकास बोर्ड की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि चाय की खेती के क्षेत्रों के विस्तार की आवश्यकता है। यह पाया गया है कि कांगड़ा के चाय बागान प्राकृतिक तौर पर सिकुड़ते जा रहे हैं तथा मौजूदा इकाइयों में परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि चाय बागानों का सुधार तथा नई पौध तैयार नहीं की गई तो यह अधिक लम्बे समय तक लाभ का उद्यम नहीं रहेगा। बैठक में चाय बोर्ड के सदस्यों ने मामला उठाया कि बहुत से चाय बागानों का पर्याप्त मानव शक्ति के अभाव में परित्याग किया जा रहा है। वीरभद्र सिंह ने 10 हेक्टेयर से कम क्षेत्र में चाय का उत्पादन कर रहे उत्पादकों को यांत्रिक कटाई उपकरण एवं छंटाई मशीनों पर अनुदान के सम्बन्ध में मामला भारतीय चाय बोर्ड से उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा हालांकि, कांगड़ा चाय काफी पंसदीदा एवं प्रसिद्ध है, लेकिन इसके उत्पादन के लिये किसानों के पास काफी कम भूमि हैै। उन्होंने कहा कि अनुदान के लिए 10 हेक्टेयर के मानदंडों में छूट दिए जाने की आवश्यकता है।

उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के मॉडल जिसमें वन भूमि, पंचायत एवं निजी भूमि को निश्चित समयावधि के लिए पट्टे पर लेकर तथा इसे लघु एवं सीमांत किसानों को प्रदान उपलब्ध करवाकर इस भूमि पर चाय के बागान लगाए गए हैं, का अध्ययन करने के लिए सदस्यों के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि इस सम्बन्ध में शीघ्र जानकारी प्राप्त की जाएगी तथा मशीनीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से चाय बागानों में परिवर्तन एवं सुधार के प्रयास किए जाएंगे।

कांगड़ा चाय अपने आप में एक वरदान है तथा जैविक है, इसलिए उद्यमी विकास कार्यशालाओं एवं कार्यक्रमों तथा व्यापारिक मेलों, बिक्रेताओं एवं खरीददारों की बैठकों एवं अन्य राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय आयोजनों के माध्यम से इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने की समय की मांग है। बैठक में कांगड़ा चाय की महत्ता को प्रोत्साहित करने के लिए नवम्बर माह में चाय उत्पादकों के सहयोग से राष्ट्रीय सेमिनार एवं प्रदर्शनी का आयोजन करने का भी निर्णय लिया गया। वीरभद्र सिंह ने कहा कि चाय उत्पादकों की सुविधा तथा इन्हें लाभान्वित करने के लिए आधुनिक उपकरणों का पता लगाकर इन्हें उपयोग में लाया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित बनाया जाए कि चाय की खेती के अन्तर्गत जमीन किसी भी स्थिति में कम न हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के सभी चाय उत्पादकों को यथासंभव सहायता प्रदान करेगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव उपमा चौधरी ने कांगड़ा चाय को प्रोत्साहित करने तथा इसके विपणन को सुचारू बनाने के लिए ठोस सुझाव आमंत्रित किए। उन्होंने कहा कि राज्य के लघु एवं सीमांत चाय उत्पादकों को सहायता प्रदान करने के लिए 7.20 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भारतीय चाय बोर्ड को भेजा गया है तथा समय-समय पर इसका अनुगमन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बैजनाथ के समीप होल्टा में चाय के पौधों का रोपण किया जा रहा है तथा चाय की खेती के लिए अनुकूल जलवायु वाले और क्षेत्रों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

 

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