विश्व स्वास्थ्य दिवस पर स्वास्थ्य मंत्री ने नई स्वास्थ्य पहल और मोबाइल ऐप्प का किया शुभारंभ

जीवनशैली से संबंधित बीमारियों की रोकथाम के लिए किशोरों और युवाओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत : नड्डा

नई दिल्ली : केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे. पी. नड्डा ने कहा कि डायबिटीज जैसी जीवनशैली से संबंधित बीमारियों की रोकथाम और उनसे मुकाबला करने के लिए हमें अपने प्रयासों को देश के युवाओं और किशोरों पर केन्द्रित करने की जरूरत है। उन्होंने ऐसा विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर बोलते हुए कहा। उन्होंने कहा कि हमें अपनी जीवनशैली, खान-पान की आदतें और व्यायाम की कमी आदि से मुख्यरूप से जुड़ी गैर-संचारी बीमारियों के बारे में जागरुकता और रोकथाम के लिए लंबा रास्ता तय करना है ताकि देश को स्वस्थ बनाया जा सके। भारत अपने जनसांख्यिकी लाभ का तभी पूरा फायदा उठा सकता है जब देश के युवा बड़े होकर स्वस्थ्य नागरिक बन सकें।

विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाते हुए आज स्वास्थ्य मंत्री ने अनेक नई ई-स्वास्थ्य और एम-स्वास्थ्य पहलों की शुरूआत की। उन्होंने ‘स्वस्थ भारत मोबाइल ऐप्लकेशन ’ और ‘एएनएम ऑनलाइन ऐप्लकेशन अनमोल’ का शुभारंभ किया। अनमोल एक टेबलेट आधारित अनुप्रयोग है जिससे एन्टर करके अपने अधिकार क्षेत्र के लाभार्थियों के अपडेटिड डाटा प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने ई-रक्तकोष पहल का भी शुभारंभ किया जो एकीकृत ब्लड बैंक प्रबंधन सूचना प्रणाली है, जिसे सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद विकसित किया गया है। इस वेब आधारित कार्यप्रणाली से राज्य के सभी ब्लड बैंक एक नेटवर्क से आपस में जुड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस पहल से ब्लड चढ़ाए जाने की जरूरत वाले व्यक्तियों और उनके परिवारजनों को काफी फायदा होगा।

एक अन्य मोबाइल ऐप्लकेशन ‘इंडिया फाइट्स डेंगू’ का शुभारंभ करते हुए जे. पी. नड्डा ने कहा कि यह अनुप्रयोग का व्यापक उपयोग होगा। वैक्टर जनित बीमारियों विशेष रूप से डेंगू पर केवल प्रभावी समुदाय भागीदारी से ही विजय प्राप्त की जा सकती है। यह ऐप्प समुदाय के सदस्यों को डेंगू की रोकथाम के लिए योगदान करने के लिए सशक्त बनाता है। जे. पी. नड्डा ने पीपीपी प्रणाली में डायलिसिस केन्द्र के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए। उन्होंने कहा कि जल्दी ही देश के प्रत्येक जिले में पीपीपी प्रणाली के तहत प्रचालित डायलिसिस केन्द्र स्थापित किया जाएगा। इन सुविधाओं के विस्तार से गुर्दे की बीमारियों से ग्रस्त रोगियों को सहायता प्राप्त होगी और उनके डाइलिसिस पर आने वाले खर्चों में भी बहुत कमी आएगी।

इस अवसर पर जे. पी. नड्डा ने आईसीएमआर इंडिया डायबिटीज (आईएनडीआईएबी) अध्ययन चरण-1 का डायबिटीज पर विश्व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट का भी अनावरण किया। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ बहु-क्षेत्रीय कार्य योजना विकसित की है जिसमें लगभग 40 मंत्रालय और विभाग शामिल हैं। हमें इस बहु-क्षेत्रीय कार्य योजना को सफल बनाने के लिए अपने प्रयास जारी रखने चाहिए। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्रीपद यस्सो नाइक ने गैर-संचारी बीमारियों के संबंध में जगरुकता पैदा करने की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि आयुष प्रणाली में दवाइयों की परंपरागत प्रणालियों में ऐसी अनेक बीमारियों की रोकथाम करने की संभावनाएं मौजूद हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव, बी.पी. शर्मा, सचिव डीएचआर और महानिदेशक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) डॉ सौम्या स्वामीनाथन, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ (प्रोफेसर) जगदीश प्रसाद, एएसएम एवं प्रबंध निदेशक (एनएचएम) सी. के. मिश्रा, और डॉ. ए के पांडा तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों और अन्य विकास भागीदारों भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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