मुख्यमंत्री ने दिए अश्वनी खड्ड से जलापूर्ति बहाल करने के निर्देश

अश्वनी खड्ड में मिलने वाले सभी जल स्रोतों की सफाई करने की आवश्यकता

कौल डैम जालपूर्ति योजना शीघ्र होगी आरम्भ 

शिमला : मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला शहर के लिए अश्वनी खड्ड से शीघ्र पेयजल आपूर्ति बहाल करने और इस जल स्त्रोत में प्रदूषण नियंत्रित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने आज यहां शिमला शहर में पेयजल आपूर्ति के आकलन के लिए बुलाई गई एक आपात बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि अश्वनी खड्ड में मिलने वाले सभी जल स्रोतों की सफाई करने की आवश्यकता है क्योंकि ये पानी को प्रदूषित कर रहे हैं और शहर में पीलिया का मुख्य कारण भी बना है।

वीरभद्र सिंह ने अश्वनी खड्ड के सहायक चश्मों में प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए शीघ्र प्रभावी कदम उठाकर पेयजल आपूर्ति बहाल करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चश्मों के ऊपर उन बस्तियों को एक मुख्य मल निकासी पाइप से जोड़ा जाना चाहिए जहां मल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है, ताकि अश्वनी खड्ड का पानी प्रदूषित न हो सके। उन्होंने कहा कि नगर निगम शिमला और इसके समीपवर्ती क्षेत्रों के लोगों की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी स्थानीय जल स्रोतों को समुचित उपचार के उपरांत बहाल किया जाना चाहिए तथा पानी के नमूनों का नियमित निरीक्षण किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि अश्वनी खड्ड की सहायक खड्डों कोटी ब्रॉंडी तथा बीन से पेयजल आपूर्ति की जा रही है, और इन स्रोतों का पानी प्रदूषण मुक्त है। उठाऊ पेयजल योजना अश्वनी खड्ड के लिए कोटी ब्रॉंडी तथा बीन नालों से क्रमशः 4.78 एमएलडी और 0.90 एमएलडी पानी छोड़ने के लिए प्राकलन तैयार किया गया है और इसका कार्य 15 मई, 2016 से पहले पूरा कर लिया जाएगा।

बैठक में यह भी अवगत करवाया गया कि क्रेगनैनो, भखेलटी तथा ढली के टैंकों में क्लोरीनेशन गैस डोजरज स्थापित किए जा रहे हैं और यह प्रक्रिया 15 अप्रैल तक पूरी हो जाएगी। ये डोजरज पानी की क्लोरीनेशन तथा इसे पीने के लिए सुरक्षित बनाने में काफी प्रभावी हैं। वीरभद्र सिंह ने शिमला शहर तथा इसके आसपास के क्षेत्रों के लोगों को पर्याप्त जलापूर्ति सुनिश्चित बना कर राहत प्रदान करने के लिए रात-दिन कार्य करने के निर्देश दिए और पानी के वितरण के लिए कम से कम अवधि निर्धारित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नगर निगम को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक घर को पानी उपलब्ध हो और उन्हें पांच से 10 दिनों तक बिना पानी के नहीं रहना पड़े।

मुख्यमंत्री ने मल निकासी ट्रीटमेंट प्लांटों की मुरम्मत एवं संचालन के निर्देश भी दिए। विभिन्न स्थानों पर मुख्य पाईप लाईनों पर ऑटोमेटिक डिस्चार्ज मीटर लगाने का निर्णय भी लिया गया और जिन्हें इस माह के अंत तक स्थापित कर लिया जाएगा। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग की सचिव अनुराधा ठाकुर ने शहर के लोगों को नगर निगम की सीमा के अन्दर एवं बाहर समय पर पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का ब्यौर दिया। उन्होंने कहा कि कोटी ब्रॉंडी और बीन नालों पर कार्य को पूरा करने की नित्य प्रति निगरानी की जा रही है ताकि लोगों को शीघ्र राहत दी जा सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में औसतन चार से पांच एमएलडी पानी की कमी है और शिमला शहर की जल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अश्वनी खड्ड से औसतन 39 एमएलडी पानी उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने अवगत करवाया कि कौल डैम जालपूर्ति योजना शीघ्र आरम्भ की जाएगी, जिसके लिए विश्व बैंक से शीघ्र उनका दल भेजने का आग्रह किया है।

सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स, स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकरु, विधायक अनिरूद्ध सिंह व सुरेश भारद्वाज, नगर निगम के महापौर संजय चौहान, उप महापौर टिकेन्द्र पंवर, मुख्य सचिव पी.मित्रा, अतिरिक्त मुख्य सचिव वी.सी. फारका व मनीषा नंदा, नगर नियोजन के निदेशक कैप्टर जे.एम. पठानिया, नगर निगम शिमला के आयुक्त पंकज राय, प्रमुख अभियन्ता सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग कंवर, स्वास्थ्य एवं आईपीएच विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी अन्यों सहित इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

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