परिवार नियोजन उपागम में भारी बदलाव, मातृ और शिशु मृत्‍यु दर में कमी के लिए परिवार नियोजन प्रमुख रणनीति : नड्डा

परिवार नियोजन उपागम में भारी बदलाव

नई दिल्‍ली : केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा है कि मातृ और शिशु मृत्‍यु दर में कमी लाने के लिए परिवार नियोजन प्रमुख रणनीति के रूप में उभरा है और परिवार नियोजन के उपागमों में बड़ा बदलाव आया है। नड्डा आज नई दिल्‍ली में परिवार नियोजन पर दो दिन के राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का उद्घाटन कर रहे थे।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने परिवार नियोजन मीडिया जागरुकता अभियान के लिए नया लोगो लांच किया। यह लोगो देश में परिवार नियोजन से जुड़े विभिन्‍न विषयों से संबंधित जागरुकता बढ़ाने के लिए 360 डिग्री की सूचना संचार योजना के साथ लांच किया गया। उन्‍होंने ऐसे विषयों को सुझाने में सूचना एवं संचार के महत्‍व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिवार नियोजन के नये दृष्टिकोण में मातृ तथा शिशु स्‍वास्‍थ्‍य को केंद्र में रखा गया है। उन्‍होंने कहा कि नये सूचना संचार माध्‍यम के लिए अमिताभ बच्‍चन को ब्रांड ऐमबेसेडर बनाया गया है। आर्इईसी पैकेज में अनेक टीवी और रेडियो विज्ञापन हैं, जिनमें माता-पिता,सास, पति तथा परिवार के अन्‍य सदस्‍यों की भूमिका पर बल देने के साथ-साथ स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों, डाक्‍टरों, नर्सों, एएनएम तथा आशाकर्मियों पर भी फोकस किया गया है। उन्‍होंने कहा कि परिवार नियोजन को बढ़ावा दिया जाना तथा महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्‍यक है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने गर्भनिरोधक निरोध की नये पैकेजिंग को भी लांच किया ताकि इसके इस्‍तेमाल में वृद्धि हो। उन्‍होंने कहा कि भारतीय महिलाओं को अधिक उपाय उपलब्‍ध कराने के लिए राष्‍ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जनस्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली में इनजेक्‍टेबल सेंटक्रोमैन तथा पीओपी का मिश्रित निरोधक तैयार किया गया है। नड्डा ने परिवार नियोजन को विकास के लिए आवश्‍यक बताते हुए कहा कि परिवार नियोजन से लोगों को यह निर्धारित करने का अधिकार मिलता है कि वह अपने बच्‍चों की संख्‍या कितनी रखें और किस अंतराल पर बच्‍चे पैदा करें। इस समाज में महिलाओं की स्थिति में मजबूती आती है और शिशु मृत्‍यु दर में भी कमी होती है।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि परिवार नियोजन आरएमएनसीएच + ए रणनीति का प्रमुख स्‍तंभ है। इससे महिलाओं और बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार हो सकता है और इसमें पहले बच्‍चे के जन्‍म में विलंब और बच्‍चों के जन्‍म के बीच अंतराल पर फोकस किया गया है। उन्‍होंने कहा कि जनसंख्‍या को स्थिर बनाने के लिए बच्‍चे को बचाना, मां की सेहत विवाह की उम्र में वृद्धि पहले बच्‍चे की पैदाइश में देरी, बच्‍चों के जन्‍म में अधिक अंतर में वृद्धि, महिला सशक्तिकरण, रोजगार, साक्षरता तथा गरीबी दूर करने के प्रयास आवश्‍यक हैं। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने बताया कि भारत ने विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य सूचकांकों के मामले में अच्‍छी प्रगति की है। उन्‍होंने बताया कि 1990-2000 के 21.54 प्रतिशत की दशकीय वृद्धि दर में कमी आई है और 2001-11 में दशकीय वृद्धि दर 17.64 प्रतिशत हो गई। कुल प्रजनन दर जहां 1951 में 6 थी वहीं 2013 में घटकर 2.3 रह गई। उन्‍होंने बताया कि 24 राज्‍य एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने प्रजनन के प्रतिस्‍थापन स्‍तर 2.1 या उससे कम को हासिल कर लिया है।

नड्डा ने देश के परिवार नियोजन के प्रयासों में योगदान करने वाले राज्‍यों को पुरस्‍कृत भी किया। प्रसव पश्‍चात बंध्‍याकरण के लिए तमिलनाडु को पुरस्‍कृत किया गया। मध्‍य प्रदेश को पीपीआईयूसीडी के लिए तथा बिहार को महिला बंध्‍याकरण और हिमाचल प्रदेश को पुरुष बंध्‍याकरण के लिए पुरस्‍कार दिए गए। स्‍वाथ्‍य मंत्री ने सम्‍मेलन में सूई से दिए जाने वाले गर्भनिरोधक के लिए तकनीकी दिशा निर्देश, मिशन इंद्रधनुष के लिए मोबाइल ऐप के साथ लांच किया। इस अवसर पर स्‍वास्‍थ्‍य एवं परविार कल्‍याण सचिव बी.पी.शर्मा, एस एडं एमडी सी.के.मिश्रा, संयुक्‍त सचिव (आरसीएच, आईईसी) डॉ. राकेश कुमार तथा मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी और विकास सहयोगियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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