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पहली बार, खतरनाक कचरे और अन्य कचरों में अंतर करने के लिए बने नियम

खतरनाक कचरे से जुड़े नए नियम पर्यावरण सुरक्षित ढंग से संसाधन रिकवरी और खतरनाक कचरे का निपटान सुनिश्चत करेंगे : जावड़ेकर

पर्यावरण मंत्रालय ने खतरनाक कचरा प्रबंधन नियम, 2016 किया अधिसूचित

 

नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभारी) प्रकाश जावड़ेकर खतरनाक कचरा नियम, 2016 जारी करते हुए कहा कि खतरनाक कचरे से जुड़े नए नियम संसाधन रिकवरी और खतरनाक कचरे का निपटान पर्यावरण सुरक्षित ढंग से सुनिश्चत करेंगे। ये नियम पर्यावरण के लिहाज से सुरिक्षत हैं। ये प्रावधान सरकार के देश में कारोबार को आसान बनाने और मेक इन इंडिया के लिहाज से बने प्राथमिकता के अनुरूप हैं। लेकिन ये टिकाऊ विकास के लिहाज से भी उतने ही जिम्मेदार हैं। पहली बार, खतरनाक कचरे और अन्य कचरों में अंतर करने के लिए नियम बने हैं। दूसरे कचरों में पुराने खराब हो चुके टायर, धातुओं की रद्दी, इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक चीजें शामिल हैं। इन्हें रीसाइकिलिंग और री-यूज संसाधन माना जाता है। ये संसाधन औद्योगिक प्रक्रिया के पूरक होते हैं और देश के शुद्ध संसाधनों पर कम बोझ डालते हैं।

खतरनाक और अन्य कचरा (प्रबंधन और सीमापार आवागमन -मैनेजमेंट एंड ट्रांसबाउंडरी मूवमेंट), नियम 2016 की विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  • अन्य कचरों को इसमें शामिल करने के लिए नियमों का दायरा बढ़ाया गया है।
  • कचरा प्रबंधन शीर्षक्रमानुसार इस तरह रखा गया है- रोकथाम, कचरा का न्यूनतम उत्पाद, दोबारा इस्तेमाल, रीसाइकिलिंग, रिकवरी, सह- प्रोसेसिंग और सुरक्षित निपटान।
  • अनुमति/निर्यात, वार्षिक रिटर्न दाखिल करने, ट्रांसपोर्टेशन आदि से जुड़े सभी फॉर्म्स संशोधित कर दिए गए हैं। इससे यह साफ है कि खतरनाक और अन्य कचरा निपटान प्रबंधन के नियमों को सख्त किया गया है। साथ ही प्रबंधन से जुड़े नियमों को सरल भी किया गया है।
  • कचरा प्रोसेसिंग उद्योगों से पर्यावरण और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की आधारभूत जरूरतों के मानक परिचालन प्रक्रिया (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर –एसओपी) के तौर पर निर्धारित किया गया है। इसे कचरे की प्रकृति के तौर पर निर्धारित किया गया है। इसे इससे जुड़े पक्षों द्वारा संग्रहित किया जाना है। साथ ही इस तरह के अधिकार दिए जाने से पहले इसे एसपीसी/पीसीसी की ओर से सुनिश्चित किया जाना है।
  • खतरनाक कचरा निपटान की इकाइयों की स्थापना और अन्य कचरों के आयात की अनुमति के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस की व्यवस्था की गई है। इस संबंध में प्रक्रियाओं को सरल कर दिया गया है सभी अनुमतियां एक साथ मिला दी गई हैं।
  • पूरक संसाधन के तौर पर कचरे के इस्तेमाल के लिए निपटान की तुलना में सह-प्रसंस्करण (को-प्रोसेसिंग) को तरजीह देने की व्यवस्था की गई है। साथ ही ऊर्जा की रिकवरी के लिए इस व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई है।
  • ऊर्जा रिकवरी के लिए खतरनाक कचरे के सह-प्रसंस्करण की अनुमति की प्रक्रिया को सरल किया गया है। इसमें ट्रायल बेसिस की तुलना में उत्सर्जन मानक के आधार को तरजीह दी गई है।
  • नियमों के तहत कचरे के आयात/निर्यात के लिए दस्तावेजी नियम काफी सरल कर दिए गए हैं। आयात/निर्यात होने वाले कचरे की सूची संशोधित की गई है।
  • दोबारा इस्तेमाल के लिए धातुओं की रद्दी, पेपर रद्दी, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के आयात के लिए मंत्रालय की अनुमति लेने का नियम खत्म कर दिया गया है।
  • कचरा प्रोसेसिंग उद्योग से स्वास्थ्य और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की मूलभूत जरूरतों को कचरे के हिसाब से मानक परिचालन प्रक्रिया (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर- एसओपी) के तौर पर निर्धारित किया गया है।
  1. खतरनाक और अन्य कचरे को पर्यावरण सुरक्षित तरीके से निपटाने के लिए पर्यावरण सुरक्षित प्रबंधन में राज्यों की जिम्मेदारियां इस प्रकार हैं
  • खतरनाक या अन्य कचरे की रीसाइकिलिंग, पूर्व-प्रसंस्करण (प्री-प्रोसेसिंग) के शेड या औद्योगिक स्थान मुहैया कराना।
  •  रीसाइकिलिंग, प्री-प्रोसेसिंग और इस्तेमाल की अन्य गतिविधियों में शामिल श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन करना
  •  ऐसे श्रमिकों का समूह तैयार करना ताकि कचरा निपटान की इकाइयां स्थापित की जा सके
  •  इस क्षेत्र में कौशल विकास गतिविधियों का आयोजन करना और श्रमिकों का स्वास्थ्य सुनिश्चित करना

कचरा निपटान उद्योग में तकनीकी विकास के मद्देनजर खतरनाक कचरा उत्पन्न करने वाली प्रक्रियाओं की की सूची की समीक्षा की गई है

अंतरराष्ट्रीय मानक और पेयजल मानक के मुताबिक कंसट्रेशन सीमा वाले कचरे की सूची संशोधित की गई है।

निम्नलिखित का आयात प्रतिबंधित है-

  • जानवरों की बेकार वसा और तेल। वनस्पति तेल का कचरा।
  • घरेलू कचरा

स. क्रिटिकल केयर से जुड़े चिकित्सकीय उपकरण

  •  सीधे इस्तेमाल के लिए लाए जाने वाले टायर
  •  पेट बोतल समेत ठोस प्लास्टिक कचरा
  •  इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली रद्दी से जुड़ा कचरा

प. सॉल्वेंट रूप वाले अन्य रासायनिक कचरा

  • इन प्रावधानों को लागू करने के लिए समेकित योजना बनाने के पूरा अधिकार राज्य सरकार के पास है। साथ ही उसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को इस बारे में वार्षिक रिपोर्ट पेश करने का भी अधिकार है।
  • राज्य प्रदूषण बोर्ड को यह अधिकार दिया गया है कि वह पैदा कचरे, रिसाइकिलिंग हुए कचरे, रिकवर हुए कचरे, इस्तेमाल कचरे और सह-प्रसंस्करित, दोबारा निर्यातित कचरे और निपटान किए गए कचरे की पूरी इन्वेंट्री तैयार करे। और हर साल 30 सितंबर तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इसकी रिपोर्ट सौंपे।
  • खतरनाक कचरा

खतरनाक कचरे का मतलब कोई भी बेकार चीज जो भौतिक, रासायनिक और जैविक रूप में है वह कचरा है। साथ ही इसमें प्रतिक्रिया होती है। यह विषैला, विस्फोटक या क्षयकारी हो और जो स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए। इसमें उद्योगों और विनिर्माण प्रक्रिया से पैदा कचरा शामिल है। पेट्रोलियम रिफाइनिंग, दवाओं के विनिर्माण, पेट्रोलियम, पेंट एल्यूमीनियम, इलेक्ट्रॉनिक सामान के विनिर्माण के दौरान पैदा रद्दी कचरा है। वर्ष 2015 के दौरान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जो जानकारी प्रदान की थी, उसके मुताबिक देश में हर साल 44000 उद्योगों से 70.46 लाख टन खतरनाक कचरे का उत्पादन होता है।

समुचित खतरनाक कचरा प्रबंधन

अ. पर्यावरण सुरिक्षत तरीके से कचरे का संग्रह, भंडारण, पैकेजिंग, परिवहन और शोधन से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर खतरनाक खतरे का असर कम हो जाता है। खतरनाक कचरों के निपटान के कई तरीके हैं। दुनिया के ज्यादातर देश पर्यावरण सुरक्षित तरीके से खतरनाक कचरे को निपटाने को प्राथमिकता देते हैं। भारत भी इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। अलग-अलग इकाइयों से पैदा होने वाले खतरनाक कचरे को निपटाने के लिए छोटे पैमाने पर शोधन सुविधाएं स्थापित की जा सकती हैं। इन्हें कचरे का भंडारण करने और निपटान सुविधा वाले साझा कचरा शोधन सुविधाओं में भी निपटाया जा सकता है। देश में इस तरह की 40 खतरनाक साझा कचरा निपटान सुविधाएं हैं। देश के 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में खतरनाक कचरों के शोधन भंडारण और निपटान सुविधाओं (टीएसडीएफ) वाले 40 साझा शोधन सुविधाएं मौजूद हैं।

ब. कचरा निपटाने वाली इकाइयां पूरक संसाधनों के तौर पर इन कचरों से धातु और ऊर्जा रिकवर करने के लिए एसिड बैटरी की रद्दी, इस्तेमाल तेल, इस्तेमाल कैटेलिस्ट और अन्य रददी सामान जैसे पुराने और इस्तेमाल किए गए टायर, पेपर रद्दी, धातु की रद्दी आदि का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर करते हैं। इसलिए इस तरह के कचरों का इस्तेमाल रीसाइकिलिंग के जरिये करने को प्राथमिकता दी जाती है। इनसे संसाधनों की रिकवरी के लिए लैंडफिल का भट्टी का इस्तेमाल से भी बचने को प्राथमिकता दी जाती है। देश में 1080 रजिस्टर्ड रिसाइकलर हैं। 47सीमेंट संयंत्रों को सह-प्रसंस्करण के लिए अनुमति दी गई है। 108 उद्योगों को खतरनाक कचरे को दोबारा इस्तेमाल की अनुमति दी गई है।

गैर वैज्ञानिक तरीके से खतरनाक और अन्य कचरे के निपटान की समस्या

कचरे को जलाने या भट्टी में झोंकने (बिजली की भट्ठियां – इनसिनिरेटर) से विषैले धुआं और गैस जैसे डायोक्सिन और फ्यूरेन पैदा होता है। इससे पारा, भारी धातु भी निकलता है जो वायु प्रदूषण पैदा करता है और इससे मानव स्वास्थ्य को खतरा होता है। पानी में कचरा बहाने या नगरपालिकाओं की ओर निर्धारित जगह में कचरा फेंकने से विषैले तत्व जमीन और पानी में रिस जाते हैं। इससे पानी प्रदूषित होता है और जमीन की गुणवत्ता खराब हो जाती है। इससे मानव स्वास्थ्य को भी बड़ा खतरा पैदा होता है। जो लोग इस तरह के कचरे के निपटान के काम में लगे होते हैं उन्हें तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों के अलावा चर्म रोग, वशांनुगत कमियां, कैंसर हो सकता है। इसलिए खतरनाक कचरों को समुचित ढंग से निपटाया जाना चाहिए। इसके लिए एक समुचित और सुव्यवस्थित प्रबंधन होना चाहिए। इस प्रबंधन से ही खतरनाक कचरों को पर्यावरण सुरक्षित तरीके से निपटाया जा सकते है। इस प्रबंधन के तहत खतरनाक कचरे का कम से कम उत्पादन, रोकथाम, दोबारा इस्तेमाल, रिकवरी और सह-प्रसंस्करण पर जोर देना होता है। इसके तहत इस तरह के कचरे के सह-प्रसंस्करण और सुरक्षित निपटारा प्राथमिकता होनी चाहिए।

नए खतरनाक और अन्य कचरों के बारे में सलाह-मशविरे की प्रक्रिया

खतरनाक और अन्य कचरे (प्रबंधन और मैनेजमेंट एंड ट्रांसबाउंडरी मूवमेंट) के नियम जुलाई, 2015 में प्रकाशित किए गए थे। उस दौरान इससे जुड़े सुझाव और आपत्ति आमंत्रित किए गए थे। इसके तहत सरकारी संगठनों, संस्थानों और अन्य लोगों से 473 सुझाव/आपत्तियां आईं। मसौदा नियमों को कचरा निपटान से जुड़े उद्योगों के साथ भी साझा किया गया। केंद्र सरकार, सरकार के मंत्रालयों, राज्य सरकारों को भी ये नियम भेजे गए। इसके बाद दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरू में कचरा निपटान से जुड़े सभी पक्षों के साथ सलाह-मशविरे के लिए कई बैठकें हुईं। इस बारे में गठित एक कार्यसमूह, जिसमें कई तकनीकी जानकारी और इस मामले के विशेषज्ञ हैं ने इन सुझावों और आपत्तियों की जांच की। इसके बाद कार्य समूह की सिफारिश पर मंत्रालय ने खतरनाक और अन्य कचरा (प्रबंधन और सीमापार आवागमन -मैनेजमेंट एंड ट्रांसबाउंडरी मूवमेंट), 2016 के नियम प्रकिशत किए।

 

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