यूजीसी के मानदण्डों की अनुपालना सुनिश्चित करें निजी विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि नियामक आयोग द्वारा अध्यापकों की पात्रता एवं विषय विशेषज्ञता के आधार पर उपयुक्त नियुक्तियांए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग; यूजीसीद्ध के मानदण्डों के अनुसार उन्हें समुचित वेतन वितरण तथा अन्य लाभों से सम्बन्धित शिकायतों को प्राथमिकता देनी चाहिए। मुख्यमंत्री आज यहां हि.प्र. निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग की कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश माध्यमिक स्तर के उपरान्त उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे समस्त निजी संस्थानों के लिये नियामक संस्था स्थापित करने वाला देश का पहला राज्य है। इस संस्था ने शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिताए शैक्षिक नियमनों तथा सार्वजनिक तौर पर शुल्क एवं अनुमोदित पाठ्यक्रमों की ऑनलाईन सूचना सुनिश्चित बनाकर शिक्षा मानदण्डों को और बेहतर बनाने में मदद की है।

वीरभद्र सिंह ने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों पर कड़े नियन्त्रण के साथ.साथ आयोग ने समस्त निजी विश्वविद्यालयों में मेरिट के आधार पर प्रवेश सुनिश्चित करके विद्यार्थियों से न्याय किया हैए और अब ये संस्थान यूजीसी मानदण्डों के अनुरूप एक.समान शैक्षिक कैलेण्डर को अपना रहे हैं जो आयोग की एक अन्य बेहतर उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक वैकल्पिक उच्च शिक्षा प्रदाताओं को प्रोत्साहित करने के सरकार के निर्णय से व्यवस्था में जोखिम उत्पन्न हुआ है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को बचाने की आवश्यकता है क्योंकि हिमाचल की साक्षरता और गुणात्मक शिक्षा में उच्च राष्ट्रीय प्रतिष्ठा हैए और यदि कहीं कुछ ग़लत होता है तो इस प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करना बेहद कठिन होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा के बढ़ते अनियन्त्रित क्षेत्रए जो विद्यार्थियों को अपर्याप्त प्रावधान उपलब्ध करवा रहे हैं तथा राज्य की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैंए पर शिकंजा कसने के लिए गंभीर है।

उन्होंने कहा कि समानता सुनिश्चित बनाने के लिए वंचित वर्ग के बच्चों के प्रवेश के लिए विशेष पग उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों में लड़कियों तथा लड़कों को समान रूप से प्रवेश की खुली व्यवस्था होनी चाहिए। वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अनेक पग उठाए हैं तथा देश के मान्यता प्राप्त व्यावसायिकध्तकनीकी संस्थानों में उच्च शिक्षा कोर्स के लिए पात्र एवं उत्कृष्ट विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है जिसके लिये उन्होंने ष्मुख्यमंत्री ज्ञानदीप योजनाष् आरम्भ करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इससे अधिक से अधिक विद्यार्थी उच्च अध्ययन के लिए आगे आएंगे और वर्ष 2022 तक उच्च शिक्षा में 36 प्रतिशत नामाकंन की उपलब्धि के लक्ष्य को इससे पहले हासिल कर लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारियों की सुरक्षा प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि बेहतर प्रदर्शन कर रहे विश्वविद्यालयों का वह सम्मान करते हैं और आशा जताई कि अन्य विश्वविद्यालय भी शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार प्रत्येक स्तर पर विश्वविद्यालयों की मदद करने के लिए तत्पर है। वीरभद्र सिंह ने राज्य शिक्षा नियामक आयोग को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आयोग हितधारकों के साथ निरन्तर सम्पर्क में हैं तथा राज्य में उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे निजी शिक्षण संस्थानों के लिए विज़न निर्माण में सेवा प्रदात्ता के रूप में कार्य कर रहा है। कार्यशाला में 16 विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

निजी शिक्षण नियामक आयोग की अध्यक्ष सरोजिनी गंजू ठाकुर ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों ने अगले पांच वर्षों के लिए एक समान दस्तावेज तैयार किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में अनेक निजी विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहें हैं और प्रदेश के युवाओं की जरूरतों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। उन्होंने निजी एवं सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को निजी नियामक आयोगों के साथ बेहतर समन्वय विकसित करने के लिए आपस में तालमेल की आवशकता पर बल दिया। वर्तमान में इस प्रकार के समन्वय में कमी पाई गई है। उन्होंने कहा कि प्रवेश के लिये मापदंड बहुत पहले ही घोषित किए जाने चाहिए।

 

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