गुगलाईजेशन से समाज में वैचारिक एवं बौद्धिक बदलाव : डा.सूद

  • : स्वस्थ समाज की स्थापना के लिये बच्चों में नैतिकता का होना अत्याश्यक
  • :डा.सूद ने की विश्वविद्यालय के व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों की सराहना
  • डा.सूद ने किये प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरित
  • संजौली कालेज की स्वाति ठाकुर ने जीती वाद-विवाद प्रतियोगिता

 

 स्वस्थ समाज की स्थापना के लिये बच्चों में नैतिकता का होना अत्याश्यक : डा.सूद

स्वस्थ समाज की स्थापना के लिये बच्चों में नैतिकता का होना अत्याश्यक : डा.सूद

शिमला: ए.पी. गोयल शिमला विश्वविद्यालय में आज विश्वविद्यालय एवं एक दैनिक समाचार पत्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘गुगलाईजेशन के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलु’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक डा. एम.पी. सूद ने की। विजेता प्रतिभागियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों के दौरान गुगलाईजेशन से आई संचार क्रान्ति से विश्व में बड़ा बदलाव आया है। इससे विकास की प्रक्रिया सुगम हुई है और विश्व एक परिवार के तौर पर परिवर्तित हुआ है। उन्होंने कहा कि समाज में एक ऐतिहासिक वैचारिक एवं बौद्धिक परिवर्तन आया है।

डा. सूद ने युवाओं का आह्वान किया कि वे गुगल एवं सोशल साईटों का उपयोग आवश्यक जानकारी एवं व्यक्तित्व विकास के लिये करें। उन्होंने चिंता जाहिर की कि युवाओं में शोशल साईटों की ओर अत्यधिक झुकाव है और ऐसे में हर वक्त इनका सही उपयोग कर पाना युवाओं को संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज की स्थापना के लिये बच्चों में नैतिकता का होना अत्याश्यक है तथा अध्यापक एवं अभिभावक इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को तकनीकी के उपयोग एवं सार्वजनिक जीवन के मध्य संतुलन बनाने की आवश्यकता है और तकनीकी का प्रयोग समाज तथा देश व प्रदेश की बेहतरी के लिये किया जाना चाहिए।

डा. सूद ने विश्वविद्यालय के व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इस दिशा में प्रदेश सरकार के प्रयासों में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि शैक्षिक संस्थान विविध संस्कृतियों एवं देशों के नागरिकों से सीखने का उत्कृष्ट स्थान है, जहां शैक्षणिक एवं व्यवारिक अध्ययन में गहन संतुलन देखने को मिलता है। बाद में, उन्होंने प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किये। प्रो. मीनाक्षी फेथ पॉल और बन्दना कुठियाला ने बतौर निर्णायक भुमिका अदा की।

अन्तर कालेज वाद-विवाद प्रतियोगिता सेन्टर ऑफ एक्सेलेन्स राजकीय महाविद्यालय संजौली की स्वाति ठाकुर ने जीती। ए.पी. गोयल विश्वविद्यालय के आकाश ने दूसरा, हि.प्र. विश्वविद्यालय विधिक अध्ययन के अर्पित मल्होत्रा ने तीसरा पुरस्कार हासिल किया जबकि हि.प्र. विश्वविद्यालय की शैफाली चौहान, ए.पी. गोयल के अखिल और हि.प्र. विश्वविद्यालय के रमेश कुमार ने सान्तवना पुरस्कार अर्जित किये। प्रतियोगिता में शिमला के विभिन्न 12 कालेजों एवं विश्वविद्यालयों के 45 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

ए.पी. गोयल शिमला विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डा. प्रो. अश्वनी कुमार ने बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को इन्टरनेट की पहुंच है और प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इसका उपयोग कर सकता है। उन्होंने कहा कि गुगलाईजेशन से सूचना जबकि शिक्षा से ज्ञान प्राप्त होता है और शिक्षा क्रान्ति का आधार है। उन्होंने युवाओं को इन्टरनेट के अत्यधिक एवं नकारात्मक प्रयोग से बचने की सलाह दी।

 

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