शिमला: प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण तथा जल की बर्बादी को रोकना ही जल क्रांति अभियान का प्रमुख उद्देश्य है। यह बात आज बचत भवन में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय व केंद्रीय जल आयोग द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए सचिव, सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य अनुराधा ठाकुर ने कही। अनुराधा ने कहा कि मानव जीवन में जल का विशेष महत्व है। लेकिन वर्तमान में पानी की कमी से पूरा विश्व जूझ रहा है। बढती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन, मौसम का बदलाव, आधुनिक जीवन शैली ही जल की कमी के मुख्य कारण है। वर्तमान में यदि जल की बरबादी को रोका नहीं गया तो अगली पीढी के लिए पानी की कमी गम्भीर समस्या बनकर उभरेगी।
उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला का सफल आयोजन तभी सम्भव है जब यहां उपस्थिति समस्त प्रतिभागी प्रण लेंगे कि वे पानी की बर्बादी को रोकने का भरसक प्रयास करेंगें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए जल क्रांति अभियान का मुख्य उद्देश्य वर्तमान परिवेश में पानी की कमी से गांव व शहरों को निजात दिलाना है। ग्रामवासियों के सामूहिक सहयोग के बिना जल क्रांति अभियान को सफल नहीं बनाया जा सकता।
प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण व संर्वधन, पारम्परिक जल संरक्षण उपायों को सहेजना, जल की बरबादी को रोकना, वर्षा के पानी का भंडारण, जल स्रोतों को जन चेतना से दुषित होने से बचाना, कम से कम पानी से सिंचाई व फसल उत्पाद तकनीक को प्रयोग में लाना, दुषित पानी को रिसाईकिल कर प्रयोग में लाना, कृषि के लिए रासायनिक खादों व पैप्सीसाईट कैमिकल के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना इत्यादि ऐसे उपाय है जिनसे पानी की कमी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डा. अनंत कुमार गुप्ता, निदेशक केंद्रीय जल आयोग ने अपने वक्तव्य में हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ जल के संरक्षण एवं संवर्द्धन पर किए जा रहे कार्यो पर विस्तृत चर्चा की।