केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी

बंदरगाह की अगुवाई में विकास से अगले पांच वर्षों में एक करोड़ रोजगारों का सृजन संभव : गडकरी

  • अगले माह होने वाले ‘समुद्री भारत शिखर सम्मेलन’ में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 1.2 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं पेश करने की तैयारी

 

नई दिल्ली: केंद्रीय शिपिंग, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि बंदरगाह एवं शिपिंग क्षेत्र में अगले 5 वर्षों के दौरान 40 लाख प्रत्यक्ष रोजगारों और 60 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार अवसरों को सृजित करने की क्षमता है। आज मुम्बई में ‘समुद्री भारत शिखर सम्मेलन’ के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि सभी विकसित देशों में एक जीवंत बंदरगाह क्षेत्र है, लेकिन दुर्भाग्यवश अपार संभावनाएं होने के बावजूद विगत वर्षों के दौरान हमारे समुद्री क्षेत्र की निरंतर उपेक्षा की गई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बंदरगाह की अगुवाई में विकास किए जाने पर दिए गए विशेष जोर को स्मरण करते हुए गडकरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने 1,20,000 करोड़ रुपये (18 अरब अमेरिकी डॉलर) की निवेश संभावना वाली परियोजनाएं तैयार की हैं, जिन्हें 14 अप्रैल से लेकर 16 अप्रैल तक मुम्बई में आयोजित किए जाने वाले ‘समुद्री भारत शिखर सम्मेलन’ में पेश किया जाएगा। इनमें बंदरगाह आधारित 27 औद्योगिक क्लस्टर, तटीय शि‍पिंग को बढ़ावा देना और सागरमाला परियोजना के एक हिस्से के तहत अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास करना शामिल हैं।

मंत्री ने कहा कि हमारे उत्पादों के साथ-साथ निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा समय में भारत में लॉजिस्टिक्स लागत तकरीबन 18 फीसदी है, जबकि यह यूरोप में 10-12 फीसदी है। हमारा फोकस तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास करके लॉजिस्टिक्स लागत को मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी के स्तर पर लाने का है। यह उल्लेख करने की कोई जरूरत नहीं है कि परिवहन का सबसे सस्ता साधन जल परिवहन ही है।’

सचिव, शिपिंग राजीव कुमार ने कहा कि मुम्बई में 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री ‘समुद्री भारत शिखर सम्मेलन’ का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद निवेशक शिखर सम्मेलन, पैनल परिचर्चाओं और बी2बी एवं जी2बी बैठकों का आयोजन किया जाएगा। इस शिखर सम्मेलन में दक्षिण कोरिया भागीदार देश है। उन्होंने बताया कि 57 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा इस शिखर सम्मेलन में भाग लिये जाने की आशा है।

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