सुविधा-सुरक्षा-समयबद्धता-स्वच्छता जैसी सौगातों का दौर

  • रेल बजट 2016-17
  •  मनोहर पुरी
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे को देश की प्रगति और आर्थिक विकास की रीढ़ बनाना मेरा लक्ष्य

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे को देश की प्रगति और आर्थिक विकास की रीढ़ बनाना मेरा लक्ष्य

संसद में रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने अपना दूसरा रेल बजट प्रस्तुत करते हुए अपने आलोचकों को पुनः निराश किया। गत वर्ष विपक्षियों का मत था कि मंत्री महोदय की दूरगामी सोच होने के कारण उन्होंने आलोचना का कोई स्थान नहीं छोड़ा और विरासत में मिली रेल की जर्जर अर्थव्यवस्था के वावजूद किसी प्रकार के यात्री किरायों में बढ़ोतरी नहीं की। इस वर्ष तो ऐसा करना संभव ही नहीं होगा। श्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2016-17 का 1.21 लाख करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत करते हुए यात्री किराये में बढ़ोतरी नहीं की बल्कि इस बार माल भाड़े में वृद्धि से भी परहेज किया। उन्होंने आने वाले सुनहरे वर्षों का लेखा जोखा रेल यात्रियों के सामने रखा। अपने बजट भाषण में उन्होंने देश को विश्वास दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन-2020 को ध्यान में रखते हुए रेल परिचालन में निरन्तर सुधार लाया जायेगा। सरकार का प्रयास है कि रेल यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधायें उपलब्ध कराई जायें। रेलें समय पर चलें और उनमें हर प्रकार की स्वच्छता और समयबद्धता का ध्यान रखा जाये। उन्होंने हर श्रेणी के यात्रियों को अनेक प्रकार की सौगातें प्रदान की हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे को देश की प्रगति और आर्थिक विकास की रीढ़ बनाना मेरा लक्ष्य है। इस बजट का मूल मंत्र ही है ‘‘सबका साथ सबका विकास’’।

भारतीय रेल एशिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है जिसमें विश्व के किसी भी एक संस्थान से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इतने विशाल नेटवर्क को सुचारु रूप से चलाना अपने आप में एक दुरूह कार्य है। लगभग सोलह लाख के आस पास कर्मचारी और सात अरब उपभोक्ताओं की विशाल संख्या को सन्तुष्ट करना भी कोई सहज कार्य नहीं है। इसलिए रेल मंत्री ने अपने संतुलित बजट में सबका आह्वान करते हुआ कहा, ‘‘आओ मिल कर कुछ नया करें।’’ रेल मंत्री ने हर वर्ग का पूरा पूरा ध्यान रखते हुए अपनी आगामी योजनाओं की घोषणा की जिनका सर्वत्र स्वागत हुआ है। यात्री केन्द्रित इस बजट के माध्यम से रेलवे में मूलचूल परिवर्तन की राह आसान होगी। अधिक निवेश के कारण बुनियादी ढांचे का विकास होने पर अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। अपने बजट भाषण में रेल मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पर प्रधानमंत्री के विशेष बल को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे लगभग 40,000 करोड़ रुपये की आर्डर बुक के साथ दो रेल इंजन कारखाने लगाने के लिए बोलियों को अंतिम रूप दे चुकी है। ये कारखाने अनेक लघु और मध्यम दर्जे की इकाइयां जिस तंत्र की रचना करेंगी वे विश्वव्यापी आपूर्ति श्रृंखला के साथ जुड़ जायेगा। इससे बिहार और पूरे पूर्वी क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बेहतर संपर्क व्यवस्था हमारी प्राथमिकता है। हमने असम में चिर-प्रतीक्षित बड़ी लाइन पर लमडिंग सिलचर लाइन को खोल कर बराक घाटी को शेष देश के साथ जोड़ दिया है। त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर में तेजी से कार्य हो रहा है। इसी प्रकार जम्मू एव कश्मीर में सभी बाधाओं के बावजूद कार्य प्रगति पर है।

किसी भी अन्य उद्यम की ही भांति रेलवे को भी निरन्तर कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती रहती है। प्रत्येक विश्व स्तरीय रेल प्रणाली अपने लिए कुशल जनशक्ति विकसित करने हेतु रेल विश्वविद्यालयों का विकास करती है। उसी तर्ज पर भारत में भी वडोदरा स्थित ‘भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी’ को पूर्ण विश्वविद्यालय के तौर पर विकसित करने के लिए चयनित किया गया है। भविष्य में यह विश्वविद्यालय भारत ही नहीं अन्य देशों की आवश्यकताओं को भी पूरा करने में समर्थ होगा। रेलवे भारत सरकार के कौशल विकास मंत्रालय के साथ भागीदारी करके भारतीय रेल परिसरों में विशाल कौशल विकास की दिशा में कार्य करेगा। रेलवे द्वारा प्रत्येक वर्ष इंजीनियरिंग और एम बी ए स्कूलों के 100 छात्रों को दो से छः मास तक की इंटर्नशिप भी दी जायेगी। रेलवे पी पी पी के आधार पर जो योजनायें बनायेगा उन्हें राज्यों के साथ ‘साझा उद्यम’ के रूप में पूरा किया जायेगा। इन से अनेक राज्यों में रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे। इससे केन्द्र को भी भूमि अधिग्रहण संबंधी औपचारिकतायें पूरी करने में सुविधा होगी। रेलवे प्रतिवर्ष 45,000 से 50,000 करोड़ रुपये का सामान खरीदता है। इस खरीद में पारदर्शिता रेल के साथ साथ देश की अर्थ व्यवस्था की कायाकल्प करने में भी सहायक सिद्ध हो सकेगी। युवाओं को रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाने के लिए इस बात का प्रयास किया जायेगा कि युवकों के ‘स्वयं सहायता समूह’ के माध्यम से अधिक से अधिक सामान खरीदा जाये। इतनी बड़ी खरीद में यदि युवाओं को उचित हिस्सा मिले तो उनके भविष्य को सहज ही संवारा जा सकता है। युवाओं और कारोबारियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष 100 रेलवे स्टेशनों पर वाई फाई की सुविधा उपलब्ध करवाने का भी प्रस्ताव है। अगले वर्ष 400 स्टेशनों पर यह सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इसके लिए गुगल के साथ साझेदारी की जा रही है।

इस बजट में स्थान स्थान पर रेलमंत्री के संवेदशील और मानवीय दृष्टिकोण की झलक भी मिली। उन्होंने अपने कर्मचारियों और यात्रियों को सहयोगी माना। स्टेशनों पर

 बजट का मूल मंत्र ही है ‘‘सबका साथ सबका विकास’’

बजट का मूल मंत्र ही है ‘‘सबका साथ सबका विकास’’

लालवर्दी धारक सामान उठा कर जीवनयापन करने वालों को कुली के स्थान पर सहायक की संज्ञा प्रदान की। कुली संबोधन से किसी व्यक्ति के प्रति आदर का भाव नहीं झलकता। अंग्रेजों द्वारा इसे घृणा से बोला जाता था। गुलामी के दिनों के इस संबोधन को उन्होंने सहायक नाम देकर आदरयुक्त बनाया है। उन्हें नई वर्दी दी जायेगी। व्यक्तित्व निखार के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जायेगा ताकि यात्रियों के साथ सम्मानजनक संबंध स्थापित हो। उनको बीमा देने पर भी विचार किया जायेगा। अब गैंगमैंनों को रक्षक कह कर पुकारा जायेगा और उन्हें एक वायरलैस उपकरण दिया जायेगा। जिससे उन्हें आने जाने वाली गाडि़यों की सूचना मिलती रहेगी। उन्हें अन्य अनेक प्रकार की सुविधायें भी दी जायेंगी। इस बजट में किये गये प्रावधानों के कारण न केवल रेलवे की उच्चतर गति, समयबद्धता और सुरक्षा संबधी आने वाली अड़चनों को समाप्त किया जा सकेगा बल्कि यात्रियों की यात्रा सुखद और आरामदायक भी हो सकेगी। इसी कारण इसे यात्री सुविधाओं का बजट कहा जा सकता है। यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए लोकप्रिय मार्गों पर 884 सवारी डिब्बों का स्थायी आधार पर संवर्धन करके 65,000 अतिरिक्त शायिकायें रेल नेटवर्क में जोड़ने का प्रस्ताव किया है। पर्यावरण एवं स्वच्छता को बेहतर बनाने के लिए रेलवे द्वारा विश्व का पहला बायो-वैक्यूम टॉयलेट विकसित किया गया है। यह टॉयलेट डिब्रूगढ़ राजधानी में लगाया गया है। इस वर्ष रेलों के 4500 से अधिक डिब्बों में 17,000 जैव-शौचालय की व्यवस्था होगी। 475 स्टेशनों पर अतिरिक्त शौचालय उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। जिसमें यात्री एस एम एस करके कोच/शौचालय की सफाई का अनुरोध कर सकेंगे। आगामी वित वर्ष में 30,000 अतिरिक्त जैव शौचालय लगाये जायेंगे। रेलवे द्वारा एस एम एस के माध्यम से ‘क्लीन माई कोच’ सेवा का भी प्रावधान किया गया है। स्वच्छ और स्वास्थ्यकर बिस्तर उपलब्ध करवाने के लिए मैकेनाइज्ड लांड्रियों को बढाया है। अब कुछ विशेष स्टेशनों पर सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए डिस्पोजेबल बिस्तर उपलब्ध हैं। आधुनिक साज सज्जा वाले सवारी डिब्बों के साथ एक नई रेलगाड़ी, महामना एक्सप्रेस प्रारम्भ की गई है।

साधारण यात्रियों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, छात्रों और बच्चों तक की आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रत्येक ट्रेन में 120 नीचे की बर्थ सुरक्षित रखी जायेंगी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50 प्रतिशत नीचे की सीटों का कोटा निश्चित कर दिया गया है। वे पहले से ही ऑनलाइन व्हीलचेयर आरक्षित करवा सकते हैं। अब उनके लिए स्टेशनों पर अधिक लिफ्ट और एक्सेलेटर लगाये जायेंगे। यात्रियों को विश्रामालयों की भी ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। ये विश्रामालय घंटों के हिसाब से आरक्षित करवाये जा सकेंगे। इससे यात्रियों को अनावश्यक रूप से 12 घंटें के लिए विश्रामालय को आरक्षित नहीं करवाना होगा। विश्रामालयों के बेहतर प्रबंधन के लिए यह कार्य आई आर सी टी सी को सौंपा जा रहा है। महिलाओं के लिए सुरक्षा हेल्पलाइन होगी। गाड़ी के डिब्बों और स्टेशनों की निगरानी के लिए सी सी टी वी कैमरे लगाये जा रहे हैं। प्रत्येक आरक्षित कोटे में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें रखी जायेंगी। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सवारी डिब्बों में माध्यम भाग को उनके लिए आरक्षित किया गया है। शिशुओं के साथ यात्रा करने वाली महिलायें नये प्रावधानों से बहुत राहत का अनुभव करेंगी। अब गाडि़यों में बच्चों के लिए खानपान के पदार्थ, शिशु आहार, गर्म दूध और गर्म पानी उपलब्ध करवाया जायेगा। गाड़ियों के शौचालयों में शिशुओं के लिए वायुयान की तर्ज पर चेंजिग बोर्ड उपलब्ध होंगे।

रेलवे स्टेशनों पर बुजुर्गों और दिव्यांग यात्रियों की सहायता के लिए कोंकण रेलवे में सारथी सेवा उपलब्ध है। भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी इन सेवाओं का विस्तार किया जायेगा। वर्तमान में यात्रियों को उपलब्ध होने वाली ‘पिक अप एंड ड्राप सेवा’ और ‘व्हील चेयर’ सेवाओं के अतिरिक्त भुगतान आधार पर बैटरी चालित कारें, भार वाहक सेवायें आदि बुक कर सकते हैं। यात्रियों को रेल टिकट के आरक्षण के समय ही यात्रा बीमा करवाने की वैकल्पिक सुविधा भी उपलब्ध करवाई जायेगी। इससे उनकी सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित हो सकेगी। दुर्घटना होने की स्थिति में यात्रियों की वित्तीय हानि को कम किया जा सकेगा। देश में इस समय 11,000 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग हैं। रेलवे में होने वाले कुल हादसों के 40 प्रतिशत हादसे इन्हीं स्थानों पर होते हैं। अनेक वर्षों से यह मांग की जा रही है कि ऐसे मानवरहित क्रॉसिंग शीघ्र अति शीघ्र समाप्त किये जायें परन्तु अब तक इस क्षेत्र में पूरी सफलता नहीं मिली। 2015 -16 में 350 चौकीदार वाले लेवल क्रासिंग और 1,000 बिना चौकीदार वाले क्रांसिंग बंद किये गये हैं। 1,350 स्थानों पर कार्य चल रहा है। इस बजट में यह वायदा किया गया है कि आने वाले पांच वर्षों में यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया जायेगा तो यह श्री सुरेश प्रभु की एक बड़ी उपलब्धि मानी जायेगी।

भारत वर्ष में भारतीय एवं विदेशी पर्यटकों की एक बड़ी संख्या की रुचि देश के विभिन्न भागों में स्थित धार्मिक स्थलों की यात्रा करने की होती है। तीर्थ स्थल विशेष रूप से उनकी प्राथमिकता में रहते हैं। पर्यटन मंत्रालय ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है परन्तु इन स्थानों की परस्पर दूरी के कारण इनके प्रति यात्रियों को आकर्षित करना कठिन होता है। रेल एक ऐसा माध्यम है जिस के द्वारा देश के किसी भी धार्मिक स्थल पर सुगमता से पहुंचा जा सकता है। इसके लिये वर्तमान रेल बजट में आस्था सर्किट बनाने की पहल की गई है। इसके लिए धार्मिक महत्व वाले 18 रेलवे स्टेशनों को चिन्हित किया गया है। इन स्टेशनों का सौन्दर्यीकरण करने की योजना है। धार्मिक महत्व के इन स्थानों को परस्पर जोड़ने के लिए आस्था सर्किट गाड़ियां चलाई जायेंगी। इन स्टेशनों पर तीर्थ यात्रियों के लिए अतिरिक्त सुविधायें उपलब्ध करवा कर उनकी यात्रा को सुखद एवं आरामदेह बनाया जायेगा।

यात्रियों के लिए अधिक से अधिक सुविधायें उपलब्ध करवाने के लिए रेल मंत्री द्वारा रेल नेटवर्क में चार नई यात्री गाड़ियां जोड़ी गई हैं। साधारण यात्रियों के लिए देश के प्रमुख रेल मार्गों पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कल्पना के अनुरूप जनरल सवारी डिब्बों वाली ‘अंत्योदय एक्सप्रेस’ गाड़ियां चलाई जायेंगी। इनका किराया भी कम रखा गया है। ये पूर्णतया अनारक्षित परन्तु सुपर फास्ट ट्रेन होगीं। कुछ लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में भी दो से चार ‘दीन दयालु सवारी डिब्बे’ लगाने का प्रस्ताव रेल मंत्री का है। इन डिब्बों में पीने के पानी और फोन चार्ज करने की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जायेगी। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और महिलाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए चुनिंदा स्टेशनों के सभी प्लेटफार्मों पर पोर्टेबल जैव शौचालय उपलब्ध होंगे। ऐसे शौचालय बनाने और उनके रखरखाव के लिए विज्ञापनदाताओं, सामाजिक सगंठनों और स्वैच्छिक सहायता समूहों से भी बातचीत की जा रही है।

सुरेश प्रभु ने तीन अन्य गाड़ियों का प्रस्ताव भी किया है। मध्य आय वर्ग को ध्यान में रखते हुए ‘हमसफर’ ट्रेन’ का प्रस्ताव किया गया है। हमसफर तृतीय श्रेणी वाली पूर्णतया वातानुकूलित गाड़ी होगी। इसमें भोजन की वैकल्पिक सुविधा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। पहले ऐसी गाड़ियों में टिकट बुकिंग के साथ भोजन उपलब्ध कराया ही जाता था। वर्तमान सरकार भविष्य में रेलों का क्या रंग रूप जनता के सामने लाना चाहती है इसे ध्यान में रखते हुए ‘तेजस’ का परिचालन किया जाने वाला है। समय की बचत को ध्यान में रखते हुए 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलने वाली इस टेªन में कई प्रकार की आधुनिक सुविधायें उपलब्ध कराई जायेंगी। इसमें यात्रियों की संतुष्टि का विशेष ध्यान रखा जायेगा। इसमें मनोरंजन, स्थानीय खान पान और वाई-फाई जैसी सेवायें उपलब्ध रहेंगी। ‘उदय एक्सप्रेस’ वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेनों के रूप में सबसे व्यस्त मार्गों पर चलेंगीं और यात्रियों के लिए रात्रि सेवा उपलब्ध करवायेंगीं। इससे लगभग 40 प्रतिशत अधिक यात्री लाभ उठा सकेंगे।

संक्षेप में रेल मंत्री सन् 2020 तक यात्रियों को एक ऐसी रेल सेवा उपलब्ध करवाने के लिए कटिबद्ध हैं जिस पर देश गर्व कर सके। ऐसी सेवा जो सीमित क्षमता और गति के अवरोधों से मुक्त हो, ऐसी सेवा जो कुशल और लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरने वाली हो, ऐसी सेवा जो शानदार और यादगार हो, जहां इस देश के लोग आराम अनुभव कर सकें, जहां कार्यकलाप के प्रत्येक क्षेत्र में अनेक विकल्प हों और समूची रेलवे प्रणाली में आसानी से कामकाज सुनिश्चित हो अर्थात् ऐसी प्रणाली जो वित्तीय और अन्य जरुरतें पूरी करने में सक्षम हो।

 

*मनोहर पुरी एक वरिष्ठ पत्रकार हैं। लेख में विचार उनके स्वयं के हैं।

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