- अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक बाद की छात्रवृत्ति प्रत्यक्ष लाभ अंतरण माध्यम से जारी की जाएगी: जुआल ओराम
नई दिल्ली: केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुआल ओराम ने कहा है कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए नये कदम उठाएगा कि विभिन्न जनजातीय कल्याण योजनाओं के अंतर्गत राज्यों को दी गई राशि का लाभ वास्तविक लाभार्थियों को मिले। आज नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए ओराम ने कहा कि दूर-दराज के क्षेत्रों में जनजातीय लोगों को मिले लाभ के बारे में व्यक्तिगत जानकारी हासिल करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाती आयोग तथा जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अधिकारी जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस काम में कुछ स्वतंत्र एजेंसियों को भी लगाया जाएगा
ओराम ने बताया कि पारदर्शिता तथा तेज डिलेवरी सुनिश्चिम करने के लिए अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक बाद की छात्रवृत्ति प्रत्यक्ष लाभ अंतरण माध्यम से दी जाएगी। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष में 20 नये एकलव्य आवासीय विद्यालय खुले हैं। ऐसे विद्यालयों की कुल संख्या 213 हो गई है। ओराम ने बताया कि अगले वर्ष के बजट में वन बंधु कल्याण योजना (वीबीकेवाई) का आबंटन 100 करोड़ रुपये से बढाकर 200 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बहुत कम महिला साक्षरता वाले ब्लॉक वीबीकेवाई के लिए चुने गए हैं।
ओराम ने बताया कि उनके मंत्रालय ने 200 स्वयंसेवी संगठनों में से 14 एनजीओ को स्थापित स्वयंसेवी एजेंसी (ईवीए) के रूप में मान्यता दी है। इन एजेसियों को सहायता अनुदान के लिए सरल मंजूरी प्रक्रिया बनाई जा रही है। आजीविका तथा कौशल विकास के बारे में मंत्रालयों के प्रयासों की चर्चा करते हुए ओराम ने बताया कि कौशल विकास के लिए 80 हजार जनजातीय लाभार्थियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण पर चालू वित्त वर्ष में 285 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय टीएसपी (जनजाती सब-प्लान) के उनके मंत्रालय के लिए आबंटन में 20.15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। यह आबंटन 19,979 करोड़ रुपये से बढ़कर 24,005 करोड़ रुपये हो गया है।
वन अधिकार अधिनियम 2006 को लागू किए जाने के बारे में जुआल ओराम ने कहा कि इस मामले में पिछड़े राज्यों से कहा जाएगा कि वे अपनी स्थिति बेहतर राज्यों के अनुरूप सुधारें।