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सियासी संकट से घिरा “भारत-पाक टी-20 वर्ल्ड कप धर्मशाला”

संपादकीय

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  • संपादक: सरिता चौहान

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला में 19 मार्च को भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप मैच को लेकर कई तरह की चर्चाओं का प्रदेश में दौर जारी है। इसमें कौन सही कौन गलत है वास्तविक रूप से इसका फैसला कर पाना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है। जहां कुछ बड़े नेता और लोग’ इस मैच के होने का समर्थन करते नजर आ रहे हैं वहीं कुछ बड़े दिग्गज और लोग इस मैच के खिलाफ खड़े हो गए हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के पठानकोट आतंकी हमले में दो जवान हिमाचल के भी शहीद हुए हैं।

जहां मैच को लेकर कुछ नेताओं का कहना है कि जेएनयू के बिगड़े हालात और हाल में ही पठानकोट में शहीदों की शहादत को भूलना नहीं चाहिए। ऐसे में धर्मशाला में मैच होना सही नहीं है। ऐसे में प्रदेश में भारत-पाकिस्तान का मैच विरोध होना चाहिए। इसी के चलते मैच के विरोध में पठानकोट आंतकी हमले में शहीद होने वाले जगदीश चंद और संजीवन राणा के परिजनों ने शहीद स्मारक धर्मशाला में इस मैच के होने का विरोध जताया। एक ओर जहां शहीदों के परिवारों की भावनाओं को रखने की बात की जा रही है तो वहीं दूसरी ओर मैच होने का समर्थन करते नेता और लोगों का कहना है कि हिमाचल में टी-20 वर्ल्ड कप मैच होने से हिमाचल में पर्यटन को जहां बढ़ावा मिलेगा तो वहीं भारत और पाकिस्तान के रिश्ते में भी कुछ सुधार हो सकता है। दूसरी बात यह भी कही जा रही है कि मैच शुल्क का कुछ हिस्सा शहीदों के परिवारों को दिया जाएगा। लेकिन मैच होने न होने को लेकर प्रदेश में कई सियासी रंग देखने को मिल रहे हैं।

लेकिन मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पीसीबी चीफ शहयार ने आईसीसी से कहा कि उनकी टीम के खेलने का फैसला पाकिस्तान सरकार करेगी। सरकार से सिक्योरिटी क्लीयरेंस मिलने के बाद ही पाकिस्तान के खेलने का फैसला होगा। यानि पाकिस्तान सरकार अगर खेलने की इजाजत नहीं देती तो 19 मार्च को धर्मशाला में भारत के साथ पाकिस्तान का मैच नहीं होगा।

भारत-पाकिस्तान मैच शुरू होने से पहले ही सियासी संकट के बादलों से घिरता नजर आ रहा है। प्रदेश में इस मैच को शहादत से जोड़कर देखा जा रहा है जिसके चलते हिमाचल के लोग पूरी तरह इस मैच के विरोध में उतर आए हैं। वहीं मैच होने के लिए पर्यटन को बढ़ावा और मैच का कुछ शुल्क शहीदों के परिवारों को देने जैसी दलीलें दी जा रही हैं। माना जा रहा है कि इस मैच के न होने से एचपीसीए अध्यक्ष एवं बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर को एक बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि वे काफी समय से मैच को करवाने की कोशिश में लगे हैं। मैच को लेकर प्रदेश में जहां चर्चाओं का दौर जारी है तो वहीं सियासी माहौल भी काफी गर्माया हुआ है। खैर जो भी हो यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि सियासी संकट के बादलों से घिरा यह मैच अपने किस अंजाम तक पहुंचता है।

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