नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), जिनेवा के बीच पारम्परिक औषधि के क्षेत्र में सहयोगात्मक गतिविधियों के लिए होने वाले समझौते पर अपनी मंजूरी दे दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ लंबी अवधि के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता बढ़ाने और आयुष प्रणाली को ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी। इसके लिए आयुष और डब्ल्यूएचओ के बीच शिक्षा, कौशल विकास, कार्यशालाओं, प्रकाशनों और कार्यक्रमों के आदान-प्रदान के जरिए सदस्य देशों के बीच औषधि की आयुष प्रणाली के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सुविधा होगी। डब्ल्यूएचओ पारम्परिक औषधि नीति 2014 से 2023 के कार्यान्वयन में सहक्रियता बढ़ाने के लिए विशेष रूप से आयुष प्रणाली के संदर्भ में तीसरी पार्टियों के साथ सहयोग किया जाएगा। आयुष मंत्रालय की मौजूदा योजनाओं के अंतर्गत आवंटित बजट में से सहयोगात्मक गतिविधियों के लिए व्यय किया जाएगा।
दोनों पक्षों द्वारा समझौतों पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद आपसी सहमति की शर्तों के अनुसार ये कार्य शुरू हो जाएंगे। लंबी अवधि के सहयोग के पहले कदम में भारत, डब्ल्यूएचओ को निम्नलिखित तकनीकी आलेख/प्रकाशन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपेगा, जिससे भारतीय प्रणाली को बेहतर अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता दिलाने में मदद मिलेगी
योग में प्रशिक्षण के लिए मानदंड
आयुर्वेद चिकित्सा के लिए मानदंड
यूनानी औषधि के लिए मानदंड
पंचकर्म चिकित्सा के लिए मानदंड
लम्बी अवधि के सहयोग के अंतर्गत बाद में आपसी सहमति से आयुष और डब्ल्यूएचओ पारम्परिक तथा अनुपूरक औषधि/प्रणाली (टी और सीएम) को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय सहयोग करेंगे। इसमें टी और सीएम के लिए मूल शब्दावली पर डब्ल्यूएचओ द्वारा लिखित सामग्री तैयार करना, विश्व स्तर पर टी और सीएम अपनाने के लिए डाटाबेस तैयार करना, टी और सीएम अपनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियामक सहयोग का नेटवर्क स्थापित करना शामिल है। आशा है कि डब्ल्यूएचओ और आयुष के बीच समझौते से आयुष प्रणाली को अपनाने वालों को लाभ होगा।