वर्ष 2016-17 के लिये राज्य की वार्षिक योजना 5200 करोड़ रुपये स्वीकृत

  • राज्य सरकार 15 वर्ष से 45 वर्ष आयु वर्ग के और अधिक युवाओं को कौशल विकास योजना के दायरे में लाने के लिए प्रयासरत

 

शिमला: प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016-17 के लिए 5200 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को स्वीकृति प्रदान की है। यह योजना वर्ष 2015-16 की वार्षिक योजना के आकार से 8.33 प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राज्य योजना बोर्ड की आज यहां आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी।

  • अनुसूचित जाति की आबादी को लाभान्वित करने के लिए 1309.88 करोड़ रुपये स्वीकृत

राज्य की कुल वार्षिक योजना में अनुसूचित जाति की आबादी को लाभान्वित करने के लिए अनुसूचित जाति उप-योजना के अन्तर्गत 1309.88 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जो कुल योजना आकार का 25.19 प्रतिशत है। इसी प्रकार जनजातीय क्षेत्र उप-योजना तथा पिछड़ा क्षेत्र उपयोजना के लिए 468 करोड़ रुपये रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जो योजना आकार का 9 प्रतिशत है। कृषि, बागवानी, पशु पालन, वन, सिंचाई, सड़कें, शिक्षा व स्वास्थ्य इत्यादि विकास शीर्षों के लिए 65 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को नीति दस्तावेज के रूप में अपनाया है तथा वर्तमान कार्यकाल में तीन वर्षों में न केवल सभी वायदे पूरे किए हैं, बल्कि वायदों से बढ़ कर कार्य किया है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि वार्षिक योजना 2016-17 में सामाजिक सेवा क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान करते हुए इस क्षेत्र को 1992 करोड़ रुपये का आबंटन किया गया है जो कुल योजना आकार का 38.31 प्रतिशत है।

  • ऊर्जा क्षेत्र प्राथमिकताओं में एक : वीरभद्र सिंह

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राथमिकता के क्रम में परिवहन एवं संचार सेवाओं के लिए 979.04 करोड़ रुपये प्रस्तावित है, जो वार्षिक योजना का 18.83 प्रतिशत है। वीरभद्र सिंह ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र उनकी प्राथमिकताओं में एक है और इसके लिए 683 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है, जिसमें राज्य ऊर्जा निगम और हि.प्र. ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि. द्वारा कार्यान्वित एशियन विकास बैंक की वित्तपोषित परियोजनाओं की ऋण एवं हिस्सेदारी भी शामिल है। कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए 586 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्रस्तावित है, जो कुल योजना का 11.26 प्रतिशत है। इसमें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत बाह्य सहायता परियोजनाएं तथा योजनाएं शामिल हैं।

  • 15 वर्ष से 45 वर्ष आयु वर्ग के और अधिक युवाओं को कौशल विकास योजना के दायरे में लाने के लिए प्रयासरत

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार 15 वर्ष से 45 वर्ष आयु वर्ग के और अधिक युवाओं को कौशल विकास योजना के दायरे में लाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा 640 करोड़ रुपये धनराशि स्वीकृत की है, जिससे राज्य सरकार द्वारा कौशल विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को और बल मिलेगा। प्रदेश में विभिन्न विभागों द्वारा संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में समरूपता लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम की स्थापना की गई है। इसका उददेश्य भविष्य में तैयार की जाने वाली वाली श्रम-शक्ति को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप बेहतर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के साथ, बेरोजगार युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना भी है।

मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता जताई कि केन्द्र सरकार ने प्रदेश सरकार को साधारण और विशेष केन्द्रीय सहायता तथा विशेष योजना सहायता के तहत प्राप्त होने वाली 3000 करोड़ रुपये की वार्षिक सहायता को बंद कर दिया है। राज्य सरकार विशेष श्रेणी राज्यों, जिसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल है की केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में केन्द्रीय हिस्सेदारी में कटौती न करने तथा सभी केन्द्रीय योजनाओं की तर्ज पर 90:10 की हिस्सेदारी को बनाए रखने के लिए केन्द्र सरकार और नीति आयोग के समक्ष लगातार मामला उठाती रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य योजनाएं, जो राष्ट्रीय विकास एजेंडे का हिस्सा हैं, 90:10 के केन्द्र-राज्य के हिस्से के रूप में वहन की जाएगी, लेकिन मुख्यमंत्रियों के उप-समूह द्वारा नीति आयोग की बैठक में की गई अनुश्ंसा के आधार पर विभिन्न वैकल्पिक योजनाओं के हिस्सेदारी की पद्धति को 80:20 की हिस्सेदारी के अनुरूप स्वीकृत की जाएगी। जबकि केन्द्रीय हिस्सेदारी में अब काफी कटौती कर दी गई है।

बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि प्रदेश का सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार का अनुपात 28 प्रतिशत है जो अन्य पड़ोसी राज्यों के मुकाबले काफी अधिक है। पंजाब में यह अनुपात 11 प्रतिशत, बिहार में 12 प्रतिशत, हरियाणा में 14 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 10 प्रतिशत है।

  • ठेके मेरिट के आधार पर दिए जाने चाहिए

पर्यटन और जलविद्युत राज्य की आर्थिकी का मुख्य आधार होने के दृष्टिगत पर्यटन क्षेत्र में बजट परिव्यय में बढ़ोतरी के सुझाव भी प्राप्त हुए। सड़कों के लिए कारपोरेट तथा सामाजिक दायित्व अपनाने के सुझाव भी प्राप्त हुए। सरकार को सड़कों अथवा अन्य परियोजनाओं के निर्माण एवं रख रखाव के अनुबंध में जिम्मेवारी/दंड की धारा को शामिल करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने सड़कों के दोनों ओर अंधाधुंध केबल बिछाने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि ठेके मेरिट के आधार पर दिए जाने चाहिए।

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