शिमला: मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राज्य के कुछ स्कूलों व आंगनवाड़ी केन्द्रों में मध्यांतर भोजन बांटने में अनुसूचित जाति समुदाय के विद्यार्थियों से भेदभाव के सम्बन्ध में कोली समाज और संत रविदास समुदायों के सदस्यों की शिकायतों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए सम्बन्धित विभागों को समस्त स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केन्द्रों में पुनः आदेश जारी करने को कहा है ताकि इस प्रकार के मामलेा न हो सके।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार का भेदभाव एक अपराध है और दोषी अध्यापकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों को रोल नम्बर के आधार पर एक साथ मिड-डे-मील वितरित करने के निर्देश दिए ताकि कोई भी विद्यार्थी अपमानित महसूस न करे। मुख्यमंत्री आज यहां आयोजित हिमाचल प्रदेश कोली कल्याण बोर्ड तथा हिमाचल प्रदेश संत रविदास कल्याण बोर्ड की प्रथम बैठकों की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इन समुदायों की समस्याओं पर विचार करने और इनका हल निकालने के लिए अलग से बोर्डों का गठन किया है। राज्य में अनुसूचित जातियों की सूची में 56 जातियों को सम्मिलित किया गया है और इन वर्गों को सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती में आरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नागरिक अधिकार यंाक्षण अधिनियम और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियमों का प्रभावी कार्यान्वयन कर रही है तथा किसी भी व्यक्ति को इन अधिनियमों के उल्लंघन अथवा अनुसूचित जातियों से संबंधित लोगों के साथ भेदभाव की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य का समग्र एवं संतुलित विकास तभी हासिल किया जा सकता है जब सभी समुदायों तथा क्षेत्रों का समान विकास हो। सरकार समाज के प्रत्येक वर्ग की शिक्षा, स्वास्थ्य व विकास की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समर्पित होकर कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के भूमिहीन लोगों को अपने मकान बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा और शहरी क्षेत्रों में दो बिस्वा भूमि प्रदान करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि आवास परियोजनाओं के अन्तर्गत अनुदान प्रदान किया जा रहा है तथा इन निर्णयों से बड़ी संख्या में लोगों को अपने घर का स्वप्न साकार करने में मदद मिली है।
इन बोर्डों के सदस्यों की राज्य सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान के 85वें संशोधन की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है और समिति की सिफारिशों के प्राप्त होने के उपरांत इस सम्बन्ध में उचित निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदायों के परिवारों को स्वरोजगार अपनाने के लिए ऋण राशि में वृद्धि के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
Feb 10, 2016 - 12:02 PM
ye behuth acha he ki bedebhav mitan ka seklebh liya he
Rakesh