राज्यपाल का युवाओं से सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में सक्रिय भागीदारी का आग्रह

  • नई दिल्ली में राज्यपालों का दो दिवसीय सम्मेलन आरम्भ

 

नई दिल्ली में राज्यपालों का दो दिवसीय सम्मेलन आरम्भ

नई दिल्ली में राज्यपालों का दो दिवसीय सम्मेलन आरम्भ

शिमला: राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नशाखोरी, छुआछूत व कन्या भू्रण हत्या जैसी सामाजिक बुराईयों के प्रति समाज में जागरूकता उत्पन्न करने में युवाओं की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया है। वह आज राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन में बोल रहे थे। हिमाचल प्रदेश की प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत स्वंय सेवी संगठनों तथा उद्यमियों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने नशा-निवारण, जैविक कृषि, देसी नस्लों की गायों, पर्यटन, पर्यावरण, स्वच्छता और ‘बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ’ जैसे कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया गया है।

राज्यपाल ने कहा कि समाज में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए आम जनमानस विशेषकर, युवाओं को जोड़ने की आवश्यकता है ताकि राज्य में सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन के लिए आन्दोलन का रूप कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने विषम भौगोलिक स्थितियों के बावजूद ऐतिहासिक प्रगति हासिल की है, जिसका श्रेय प्रदेश के भोले-भाले, शांतिप्रिय एवं मेहनतकश लोगों को जाता है।

देश की आर्थिकी में पर्यटन उद्योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राज्यपाल ने स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पर्यटन क्षमता के समुचित दोहन के लिए उपयुक्त योजना की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्य के युवाओं को रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से पर्यावरण मित्र उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लिंग निर्धारण जांच पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है, जिसके चलते राज्य में लिंग अनुपात में सुधार आया है। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि प्रदेश की लड़कियां हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने राज्य में कन्या भ्रूण हत्या जैसी बुराई को पूरी तरह समाप्त करने के लिए व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने की आवश्यकता पर बल दिया।आचार्य देवव्रत ने हिमाचल प्रदेश को जम्मू व कश्मीर, सिक्किम तथा अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर श्रेणी ‘ए’ में शामिल करने के लिए गृह मंत्रालय से आग्रह किया। उन्होंने चम्बा-जम्मू एवं कश्मीर की 216 किलोमीटर सीमा पर भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, जिसे वर्ष 1998 में हटा दिया गया था, को पुनः तैनात करने के लिए केन्द्र सरकार से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह एक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र है और लोगों की सुरक्षा के लिए सीमाओं की रक्षा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने कौशल विकास में तेजी से प्रगति की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आई.टी. क्षेत्र के सहयोग से सुशासन की दिशा में कार्य कर रही है।

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