पार्टी की ओर से दिये गये सम्मान से पूरी तरह से संतुष्ट, भ्रामक बातें न फैलाएं : प्रो. धूमल

मनरेगा बेहतर योजना फिर भी प्रदेश सरकार सही परिपेक्ष्य में इसका उपयोग करने में नाकाम साबित : धूमल

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि मनरेगा एक बेहतर योजना होते हुए भी प्रदेश कांग्रेस सरकार सही परिपेक्ष्य में इसका उपयोग करने में नाकाम साबित हो रही है। रोजगार के लिए निर्धारित लक्ष्य पूरा न होना, समय पर श्रमिकों को दिहाड़ी न मिलना व मनरेगा में कार्यरत श्रमिकों का पारिश्रमिक न बढ़ाया जाना प्रदेश सरकार की मनरेगा में असफलता को बयान करता है।

प्रो. धूमल ने कहा कि मोदी सरकार ने मनरेगा के तहत 34,900 करोड़ रू. का प्रावधान किया है जो पूर्व यूपीए सरकार की तुलना में 900 करोड़ रू. अधिक है। राज्यों की मांग पर दिहाड़ी बढ़ाने व अन्य विकास कार्यों पर 5000 करोड़ रू. का अतिरिक्त प्रावधान करने का आश्वासन दिया गया था, परन्तु प्रदेश कांग्रेस सरकार इस दौरान मनरेगा के तहत कार्यरत श्रमिकों के वेतन को बढ़ाने हेतु कोई भी प्रस्ताव केन्द्र के समक्ष नहीं रख पाई है।

प्रो. धूमल ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस ढुलमुल रवैये की वजह से प्रदेश में मनरेगा के तहत कार्य कर रहे श्रमिक ज्यादा पारिश्रमिक से वंचित हो रहे हैं। वर्तमान में हरियाणा में मनरेगा में कार्यरत श्रमिक प्रतिदिन 251 रू0, पंजाब में 210 रू., चण्डीगढ़ में 239 रू. प्राप्त कर रहे हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश में यह पारिश्रमिक मात्र 162 रू0 है। सरकार को तत्काल मनरेगा के तहत कार्यरत मजदूरों की दिहाड़ी 200 रू. करनी चाहिए।

प्रो. धूमल ने कहा कि नरेगा के तहत 100 दिनो तक कार्य दिवस देने में भी हिमाचल प्रदेश सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड खराब है। हैरानी की बात है कि इस वर्ष 75 प्रतिशत से अधिक जॉब कार्ड धारकों को 100 दिन का रोजगार नहीं मिल पाया है। इसके अतिरिक्त समय पर पारिश्रमिक न मिलना विभागीय लापरवाही ही कही जाएगी। केन्द्रीय सहायता समय पर न मिलने का मुख्य कारण अधिकारियों की लापरवाही का परिणाम है और इसकी मुख्य वजह नाकारा नेतृत्व व नाकारी सरकार है।

 

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